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    चैत्र नवरात्रि

    By Shivani SinghEdited By: Shivani Singh
    Updated: Thu, 16 Mar 2023 02:57 PM (IST)

    Chaitra Navratri 2023 साल में दो बार नवरात्रि का व्रत रखा जाता है। पहले को चैत्र नवरात्रि और दूसरे को शारदीय नवरात्रि के नाम से जानते हैं। हर एक नवरात्रि का अपना-अपना धार्मिक महत्व है। जानिए चैत्र नवरात्रि के बारे में सबकुछ।

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    चैत्र नवरात्रि के बारे में जानिए सबकुछ

    नई दिल्ली, Chaitra Navratri 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल चैत्र मास की प्रतिपदा तिथि के साथ चैत्र नवरात्रि आरंभ होती है। नवरात्रि का ये पावन पर्व इस बार 22 मार्च से शुरू होकर 30 मार्च तक चलेगा। चैत्र नवरात्रि के नौ दिनों में मां जगदंबे के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। देशभर में इस पर्व को बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा करने के साथ घटस्थापना करने के साथ अखंड ज्योति जलाई जाती है। इसके बाद अगले नौ दिनों तक पूजा करने के साथ व्रत रखने का विधान है। जानिए चैत्र नवरात्रि के बारे में हर एक चीज।

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    कब रखा जाता है चैत्र नवरात्रि का व्रत?

    हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि के साथ चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होती है, जो नवमी तिथि को समाप्त होते हैं। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, हर साल चैत्र नवरात्रि के व्रत मार्च-अप्रैल में रखे जाते हैं।

    चैत्र नवरात्रि क्यों मनाते हैं?

    चैत्र नवरात्रि मनाने के पीछे पौराणिक कथा है जिसके अनुसार मां दुर्गा से महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था। मान्यता है कि एक महिषासुर नामक का राक्षस था जिसे ब्रह्मा जी ने अमर होने का वरदान दिया था। इस वरदान के कारण वह धरती से लेकर स्वर्ग लोक तक हर किसी को परेशान कर रहने लगा था। ऐसे में सभी देवी-देवता उसेक अत्याचार से परेशान होकर ब्रह्मा, विष्णु और महेश के पास पहुंचे। इसके बाद तीनों देवताओं ने आदि शक्ति का आह्वाहन किया। भगवान शिव और विष्णु के क्रोध और अन्य देवताओं से मुख से एक तेज प्रकट हुआ, जो नारी के रूप में बदल गया। ऐसे मां दुर्गा प्रकट हुई। इसके बाद अन्य देवताओं ने उन्हें अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए। फिर मां दुर्गा ने महिषासुर को ललकारा। पूरे 9 दिनों तक युद्ध चलने के बाद दसवें दिन मां ने महिषासुर का वध कर दिया। माना जाता है कि इन नौ दिनों में मां नौ स्वरूपों को धारण करके राक्षसों से वध किया था। इसी के कारण इसे नौ दिनों का नवरात्रि के रूप में मनाते हैं।

    नौ दिनों तक क्यों मनाते हैं चैत्र नवरात्रि?

    शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि महिषासुर का वध करने के लिए देवताओं ने मां दुर्गा के नौ रूपों को अपने-अपने अस्त्र-शस्त्र दिए थे। जिसके बाद ही मां दुर्गा महिषासुर का वध कर पाई थी। चैत्र मास की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक मां दुर्गा ने नौ स्वरूप धारण किए थे। इसी कारण चैत्र नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा हर एक दिन की जाती है।

    नवरात्रि में मां दुर्गा के किन स्वरूपों की होती है पूजा?

    नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। हर एक स्वरूप का अपना एक स्वरूप है। जिनकी पूजा करने से अलग-अलग फलों की प्राप्ति होती है।

    • शैलपुत्री
    • ब्रह्मचारिणी
    • चंद्रघंटा
    • कूष्माण्डा
    • स्कन्दमाता
    • कात्यायनी
    • कालरात्रि
    • महागौरी
    • सिद्धिदात्री

    चैत्र नवरात्रि का महत्व?

    शास्त्रों में चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व है। माना जाता है कि नौ दिनों तक पड़ने वाले नवरात्रि में व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक मजबूत मिलती है। व्यक्ति की अध्यात्मिक शक्ति बढ़ती है। इसके साथ ही व्यक्ति को काम, क्रोध, मद, मत्सर, लोभ जैसी चीजों से मुक्ति मिल जाती है और व्यक्ति का मन और तन शुद्ध हो जाता है और बुद्धि भी ठीक ढंग से काम करने लगती है।

    नवरात्रि में क्यों की जाती है कलश स्थापना?

    चैत्र नवरात्रि में कलश स्थापना करना शुभ माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि किसी भी शुभ काम या फिर मांगलिक कार्य में कलश स्थापना करने सुख-समृद्धि आती है और धन धान्य की भी कमी नहीं होती है। कलश को देवी-देवता, तीर्थ स्थान, तीर्थ नदियों आदि का प्रतीक माना जाता है। कलश में मुख में विष्णु जी, कंठ में शिव जी और मूल में ब्रह्मा जी निवास करते हैं। इसके साथ ही कलश के मध्य में दैवीय मातृ शक्तियां निवास करती हैं।

    क्या है नवरात्रि में जौ बोने का मतलब?

    शास्त्रों के अनुसार, जौ को सृष्टि की पहली फसल मानी जाती है। इस कारण नवरात्रि में देवी की उपासना करते से पहले कलश के नीचे मिट्टी में जौ बोये जाते हैं। माना जाता है कि ये जौ जितनी अच्छी तरह से हरे-भरे रहेंगे। उतनी ही तेजी से व्यक्ति को सुख-समृद्धि, खुशहाली और सौभाग्य मिलता है।

    चैत्र नवरात्रि में क्यों जलाते हैं अखंड ज्योति?

    चैत्र नवरात्रि के दौरान पूरे नौ दिनों तक लगातार जलने वाले घी के दीपक को अखंड ज्योति कहा जाता है। माना जाता है कि व्रत के संकल्प के साथ इस ज्योति को जला दी जाती है और हर तरह के नियमों का पालन किया जाता है। अखंड ज्योति जलाने से मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इसके साथ ही मां के आशीर्वाद से हर क्षेत्र में सफलता मिलने के साथ सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

    चैत्र नवरात्रि में कन्याओं को भोजन कराने का महत्व?

    चैत्र नवरात्रि की अष्टमी या फिर नवमी तिथि को अधिकतर लोग कन्याओं को घर में बुलाकर विधिवत पूजा करने के साथ भोजन कराते हैं और अपनी योग्यता के अनुसार उपहार देते हैं। कन्याओं की संख्या विषम होती है, जो 1, 5, 7, 9 या फिर 11 होती है। इसके साथ ही एक लड़का भी बैठाया जाता है जिसे लंगूर कहा जाता है। भागवत पुराण के अनुसार, नवरात्रि में मां हवन, जप और ध्यान से नहीं बल्कि कन्या पूजन से भी प्रसन्न होती हैं और सुख-समृद्धि, सौभाग्य और खुशहाली का आशीर्वाद देती है।

    डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।