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    Karva Chauth Vrat 2023: वर्ष 2023 में इस दिन रखा जाएगा करवाचौथ का व्रत, पढ़िए पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

    By Suman SainiEdited By: Suman Saini
    Updated: Tue, 12 Sep 2023 05:57 PM (IST)

    Karva Chauth 2023 Date हिंदू धर्म में करवाचौथ का व्रत विशेष महत्व रखता है। यह व्रत मुख्यतः सुहागिन महिलाओं द्वारा पति की लंबी आयु के साथ-साथ वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है। यह व्रत बिना अन्न और जल ग्रहण किए सूर्योदय से रात में चन्द्रमा के दर्शन होने तक किया जाता है। आइए जानते हैं करवाचौथ का व्रत पूजा विधि।

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    Karwa Chauth 2023 वर्ष 2023 में कब रखा जाएगा करवाचौथ का व्रत।

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Karva Chauth 2023: अपने पति कि लंबी उम्र के लिए सुहागिन महिलाएं करवाचौथ का व्रत रखती हैं। यह व्रत एक कठिन व्रत माना गया है क्योंकि यह व्रत निर्जला रखा जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, करवा चौथ का व्रत कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को किया जाता है। करवा चौथ के व्रत में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है।

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    करवा चौथ 2023 तिथि (Karwa Chauth 2023 Date)

    चतुर्थी तिथि प्रारम्भ 31 अक्टूबर 2023, मंगलवार के दिन रात 09 बजकर 30 मिटन पर हो रहा है। साथ ही चतुर्थी तिथि का समापन 01 नवंबर रात्रि 09 बजकर 19 मिनट पर होगा। ऐसे में करवचौथ का व्रत 01 नवंबर को किया जाएगा। इस दिन करवा चौथ पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 36 मिनट से 06 बजकर 54 मिनट तक रहेगा।

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    करवाचौथ पूजा विधि (Karwa Chauth Puja Vidhi)

    करवाचौथ व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि के निवृत होने के बाद साफ-सुधरे कपड़े धारण करें। इसके बाद ईश्वर का ध्यान करने के बाद व्रत का संकल्प लें। करवाचौथ व्रत चंद्रोदय के बाद पूजा की जाती है। दिन में घर के मंदिर की दीवार पर गेरू से फलक बनाएं और फलक पर करवा का चित्र बनाएं।

    इसके बाद शाम के समय फलक वाले स्थान पर चौकी लगाएं और माता पार्वती संग भगवान शिव की कोई तस्वीर लगाएं। पूजा की थाली में दीप, सिंदूर, अक्षत, कुमकुम, रोली और मिठाई रखें। साथ ही करवे में जल भरकर रख दें। इसके बाद माता पार्वती को 16 श्रृंगार सामग्री चढ़ाएं। इसके बाद माता पार्वती भगवान शिव और चंद्रदेव की आराधना करें। करवा चौथ व्रत की कथा सुने। चंद्रमा के निकलने के बाद छलनी या जल के अंदर चंद्रमा को देखें इसके बाद चांद की पूजा करें और उन्हें अर्घ्य दें।

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'