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    Kajari Teej 2023: कजरी तीज की पूजा में जरूर शामिल करें ये चीजें, पढ़िए सामग्री लिस्ट

    By Suman SainiEdited By: Suman Saini
    Updated: Tue, 29 Aug 2023 05:03 PM (IST)

    Kajari Teej 2023 Date हिंदू धर्म में कजरी तीज हरियाली तीज और हरितालिका तीज के समान ही महत्व रखती है। कजरी तीज में स्त्रियां शिव-शक्ति की पूजा कर नीमड़ी माता की आराधना करती हैं। उत्तर भारतीय राज्यों विशेषकर मध्य प्रदेश राजस्थान उत्तर प्रदेश में कजरी तीज का अत्यधिक महत्व है। आइए पढ़ते हैं कजरी तीज की पूजन सामग्री और पूजा विधि।

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    Kajari Teej 2023 पढ़िए कजरी तीज की पूजन सामग्री।

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Kajari Teej 2023 Upay: भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज व्रत किया जाता है। इसे बड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है। इस वर्ष कजरी तीज का व्रत 2 सितंबर 2023, शनिवार के दिन किया जाएगा। पौराणिक मान्यता के अनुसार कजरी तीज पर सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत करती हैं। वहीं अविवाहित युवतियों द्वारा भी यह व्रत किया जाता है।

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    ये सामग्री है जरूरी (Kajari Teej Puja samagri)

    • शंकर-पार्वती की तस्वीर
    • तीज माता की तस्वीर
    • पूजा की चौकी
    • मूर्ति बनाने के लिए मिट्टी
    • गाय का कच्चा दूध, जल
    • धूप, दीपक
    • केले के पत्ते, बेलपत्र, नीम की डाली
    • कुमकुम, रोली, हल्दी
    • काजल, मेहंदी
    • धतूरा, दूर्वा,
    • जनेऊ, सुपारी, अक्षत
    • नारियल, कलश
    • घी, चंदन
    • गुड़, शहद, पंचामृत, मिश्री
    • नाक की नथ, वस्त्र
    • अबीर, गुलाल, नींबू, गेंहू
    • इत्र, फूल
    • इस दिन चने की दाल, शक्कर, घी मिलाकर सातु जरुर बनाएं

    ऐसे करें पूजा (Kajari Teej Puja vidhi)

    कजरी तीज व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के होकर पूजा स्थल की साफ करें। इसके बाद एक चौकी पर लाल रंग या पीले रंग का वस्त्र बिछाएं और माता पार्वती संग भगवान शिव की मूर्ति स्थापित करें। आप चाहें तो यह मूर्ति, मिट्टी से स्वयं बना सकती हैं। इस दिन स्वयं मूर्ति बनाने का ज्यादा  महत्व है। इसके बाद शिव-गौरी का विधिपूर्वक पूजा करें।

    माता गौरी को सुहाग के 16 सामग्री अर्पित करें। साथ ही भगवान शिव को बेलपत्र, गाय का दूध, गंगा जल और धतूरा अर्पित करें। इसके बाद शिव-गौरी के विवाह की कथा सुनें। रात्रि में चंद्र देव की पूजा करें और हाथ में चांदी की अंगूठी और गेहूं के दाने लेकर चंद्रदेव को जल का अर्घ्य दें।

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'