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    Vaishakh Purnima 2024: वैशाख पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी की इस तरह करें पूजा, आय और सौभाग्य में होगी वृद्धि

    Updated: Mon, 20 May 2024 02:21 PM (IST)

    हर वर्ष वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के अगले दिन वैशाख पूर्णिमा मनाई जाती है। इस वर्ष 23 मई (Vaishakh Purnima 2024 Date) को वैशाख पूर्णिमा है। पूर्णिमा तिथि पर चंद्र देव भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से दुख और दरिद्रता दूर होती है।

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    Vaishakh Purnima 2024: वैशाख पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी की इस तरह करें पूजा, आय और सौभाग्य में होगी वृद्धि

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Mahalakshmi Stotram Benefits: हर महीने पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता हैं। हिंदू धर्म में वैशाख माह में पड़ने वाली पूर्णिमा को अधिक शुभ माना गया है। इस वर्ष वैशाख पूर्णिमा 23 मई को है। पूर्णिमा तिथि पर चंद्र देव, भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से दुख और दरिद्रता दूर होती है। अगर आप आय और सौभाग्य में वृद्धि चाहते हैं, तो वैशाख पूर्णिमा के दिन पूजा के दौरान सच्चे मन से महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करें। इससे जातक पर मां लक्ष्मी का कृपा बनी रहती है। आइए पढ़ते हैं महालक्ष्मी स्तोत्र।

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    ।।महालक्ष्मी स्तोत्र।।

    नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते।

    शंखचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

    नमस्ते गरुडारूढे कोलासुरभयंकरि।

    सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

    सर्वज्ञे सर्ववरदे देवी सर्वदुष्टभयंकरि।

    सर्वदु:खहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

    सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि।

    मन्त्रपूते सदा देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

    आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्तिमहेश्वरि।

    योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

    स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्तिमहोदरे।

    महापापहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

    पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणी।

    परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

    श्वेताम्बरधरे देवि नानालंकारभूषिते।

    जगत्स्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

    महालक्ष्म्यष्टकं स्तोत्रं य: पठेद्भक्तिमान्नर:।

    सर्वसिद्धिमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा।।

    एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनम्।

    द्विकालं य: पठेन्नित्यं धन्यधान्यसमन्वित:।।

    त्रिकालं य: पठेन्नित्यं महाशत्रुविनाशनम्।

    महालक्ष्मीर्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।