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Jitiya Vrat 2021 Parana: आज कब करना है जितिया व्रत का पारण? जानें समय एवं व्रत का महत्व

Jitiya Vrat 2021 Date हिन्दू कैलेंडर के अनुसार आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हर वर्ष जीवित्पुत्रिका व्रत होता है। इसे कुछ स्थानों पर जितिया व्रत भी कहा जाता है। इस दिन माताएं अपनी संतान की सुरक्षा और सुखी जीवन के लिए निर्जला व्रत रखती हैं।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Tue, 14 Sep 2021 12:17 PM (IST)Updated: Thu, 30 Sep 2021 07:38 AM (IST)
Jitiya Vrat 2021 Parana: आज कब करना है जितिया व्रत का पारण? जानें समय एवं व्रत का महत्व
Jitiya Vrat 2021 Parana: आज कब करना है जितिया व्रत का पारण? जानें समय एवं व्रत का महत्व

Jitiya Vrat 2021 Date: हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हर वर्ष जीवित्पुत्रिका व्रत होता है। इसे कुछ स्थानों पर जितिया व्रत भी कहा जाता है। इस दिन माताएं अपनी संतान की सुरक्षा और सुखी जीवन के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। पुत्र के कल्याण की कामना से यह व्रत रखा जाता है। गंधर्व राजकुमार जीमूतवाहन के नाम पर ही इस व्रत का नाम जीवित्पुत्रिका रखा गया है। इस वर्ष जीवित्पुत्रिका व्रत या जितिया व्रत 29 सितंबर दिन बुधवार को था। जागरण अध्यात्म में आज हम जानते हैं जीवित्पुत्रिका व्रत का पारण आज कब करना चाहिए।

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जीवित्पुत्रिका व्रत 2021 पारण

जो भी माताएं इस वर्ष 29 सितंबर को जीवित्पुत्रिका व्रत रही हैं, उनको 30 सितंबर दिन गुरुवार को प्रात: स्नान आदि के बाद पूजा करके पारण करना होगा। दोपहर से पूर्व पारण कर लेना उत्तम होगा। सूर्योदय के बाद का पारण अच्छा माना जाता है। पारण किए बिना व्रत पूरा नहीं होता है और उसका संपूर्ण फल भी प्राप्त नहीं होता है।

जीवित्पुत्रिका व्रत 2021 मुहूर्त

हिन्दी पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का प्रारंभ 28 सितंबर दिन मंगलवार को शाम के समय 06 बजकर 16 मिनट पर हुआ है। इस​ तिथि का समापन अगले दिन 29 सिंतबर दिन बुधवार को रात 08 बजकर 29 मिनट पर होगा। धार्मिक मान्यता है कि व्रत के लिए उदयातिथि मान्य होती है, इसलिए जीवित्पुत्रिका व्रत 29 सितंबर को रखा गया है।

जीवित्पुत्रिका व्रत का महत्व

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने से संतान को दीर्घ आयु, आरोग्य और सुखी जीवन प्राप्त होता है। यह कठिन व्रतों में से एक है। इस व्रत में पानी और अन्न का त्याग किया जाता है, इसलिए यह निर्जला व्रत कहलाता है।

डिस्क्लेमर

''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।''


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