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    Jitiya Vrat 2023: आज है पावन पर्व जितिया, पूजा के समय करें इन मंत्रों का जाप और आरती, पूरी होगी मनचाही मुराद

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Fri, 06 Oct 2023 09:01 AM (IST)

    Jitiya Vrat 2023 शास्त्रों में वर्णित है कि महाभारत काल से जितिया पर्व मनाया जाता है। इस व्रत के पुण्य प्रताप से संतान तेजस्वी ओजस्वी मेधावी बहुमुखी प्रतिभा का धनी होता है। साथ ही संतान दीर्घायु होता है। इसके अलावा व्रती के संतान की रक्षा स्वयं नारायण करते हैं। अतः जितिया व्रत का विशेष महत्व है। इसे जिउतिया और जीवित्पुत्रिका व्रत भी कहते हैं।

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    Jitiya Vrat 2023: जितिया व्रत के दिन पूजा के समय करें इन मंत्रों का जाप और आरती

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली | Jitiya Vrat 2023: आज जितिया वर्त है। यह पर्व हर वर्ष अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ जगहों पर जितिया पर्व हर्षोउल्लास के साथ मनाया जा रहा है। शास्त्रों में वर्णित है कि महाभारत काल से जितिया पर्व मनाया जाता है। इस व्रत के पुण्य प्रताप से संतान तेजस्वी, ओजस्वी, मेधावी बहुमुखी प्रतिभा का धनी होता है। साथ ही संतान दीर्घायु होता है। इसके अलावा, व्रती के संतान की रक्षा स्वयं नारायण करते हैं। अतः जितिया व्रत का विशेष महत्व है। इसे जिउतिया और जीवित्पुत्रिका व्रत भी कहते हैं। अगर आप भी जगत के पालनहार भगवान विष्णु की कृपा पाना चाहते हैं, तो जितिया व्रत के दिन पूजा के समय इन मंत्रों का जाप और जितिया व्रत की आरती जरूर करें।

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    जितिया व्रत के मंत्र

    1.

    कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।

    सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि।।

    2.

    सर्व मंगल मांग्लयै शिवे सर्वार्थ साधिके |

    शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते ||

    3.

    वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम् ।

    देवकी परमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम् ।।

    श्री कृष्ण स्तुति

    आदौ देवकी देव गर्भजननं, गोपी गृहे वद्र्धनम्।

    माया पूज निकासु ताप हरणं गौवद्र्धनोधरणम्।

    कंसच्छेदनं कौरवादिहननं, कुंतीसुपाजालनम्।

    एतद् श्रीमद्भागवतम् पुराण कथितं श्रीकृष्ण लीलामृतम्।।

    अच्युतं केशवं रामनारायणं कृष्ण:दामोदरं वासुदेवं हरे।

    श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभं जानकी नायकं रामचन्द्रं भजे।।

    जितिया की आरती

    ओम जय कश्यप नन्दन, प्रभु जय अदिति नन्दन।

    त्रिभुवन तिमिर निकंदन, भक्त हृदय चन्दन॥ ओम जय कश्यप...

    सप्त अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी।

    दु:खहारी, सुखकारी, मानस मलहारी॥ ओम जय कश्यप....

    सुर मुनि भूसुर वन्दित, विमल विभवशाली।

    अघ-दल-दलन दिवाकर, दिव्य किरण माली॥ ओम जय कश्यप...

    सकल सुकर्म प्रसविता, सविता शुभकारी।

    विश्व विलोचन मोचन, भव-बंधन भारी॥ ओम जय कश्यप...

    कमल समूह विकासक, नाशक त्रय तापा।

    सेवत सहज हरत अति, मनसिज संतापा॥ ओम जय कश्यप...

    नेत्र व्याधि हर सुरवर, भू-पीड़ा हारी।

    वृष्टि विमोचन संतत, परहित व्रतधारी॥ ओम जय कश्यप...

    सूर्यदेव करुणाकर, अब करुणा कीजै।

    हर अज्ञान मोह सब, तत्वज्ञान दीजै॥ ओम जय कश्यप...

    ओम जय कश्यप नन्दन, प्रभु जय अदिति नन्दन।

    डिसक्लेमर-'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'