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    Jaya Ekadashi 2023 Vrat Katha: शुभ योगों के साथ जया एकादशी आज, पूजा के समय जरूर पढ़ें ये कथा

    By Shivani SinghEdited By: Shivani Singh
    Updated: Wed, 01 Feb 2023 09:17 AM (IST)

    Jaya Ekadashi 2023 Vrat Katha जया एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही हर तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है। आज के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने के साथ व्रत कथा जरूर पढ़ें।

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    Jaya Ekadashi 2023 Vrat Katha: जया एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करते समय जरूर करें ये काम

    नई दिल्ली, Jaya Ekadashi 2023 Vrat Katha: जया एकादशी का व्रत आज रखा जा रहा है। आज के दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने का विधान है। माना जाता हैं कि आज के दिन विधिवत पूजा और व्रत रखने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस बार जया एकादशी पर काफी खास योग बन रहे हैं। आज के दिन व्रत रखने के साथ-साथ एकादशी कथा का पाठ अवश्य करना चाहिए। पद्म पुराण के अनुसार, भगवान कृष्ण ने खुद धर्मराज युधिष्ठिर को जया एकादशी की महिमा के बारे में बताया है। जानिए जया एकादशी की संपूर्ण व्रत कथा।

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    Jaya Ekadashi 2023: सर्वार्थ सिद्धि योग में जया एकादशी आज, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

    जया एकादशी व्रत कथा

    पद्म पुराण के अनुसार, चिरकाल में एक बार स्वर्ग में स्थित नंदन वन में उत्सव का आयोजन किया जा रहा था। इस उत्सव में सभी देवगण, सिद्धगण एवं मुनि उपस्थित थे। उस समय उत्सव में नृत्य और गायन का कार्यक्रम चल रहा था। नृत्य और गायन गंधर्व और गंधर्व कन्याएं कर रहे थे। उसी समय नृतिका पुष्यवती की दृष्टि गंधर्व माल्यवान पर पड़ गई। माल्यवान के यौवन पर नृतिका पुष्यवती पर मोहित हो गई। इससे नृतिका पुष्यवती अपनी सुध खो बैठी और अमर्यादित ढ़ंग से नृत्य करने लगी।

    वहीं, माल्यवान बेसुरा होकर गाने लग्। इससे सभा में उपस्थित सभी लोग क्रोधित हो उठे। यह देख स्वर्ग नरेश इंद्र क्रोधित हो उठे और उन्होंने दोनों को स्वर्ग से निष्कासित कर दिया, साथ ही यह शाप दिया कि दोनों को अधम योनि प्राप्त होगी। कालांतर में हिमालय आकर दोनों पिशाच योनि में कष्टकारी जीवन व्यतीत करने लगे।

    एक बार माघ मास की एकादशी यानी जया एकादशी दिन आई और माल्यवान और पुष्णवती ने उस दिन कुछ अन्न नहीं खाया और फल खाकर दिन व्यतीत किया, साथ ही दु:ख और भूख के चलते दोनों ने रात्रि जागरण भी किया। इस दौरान दोनों ने श्री हरि का स्मरण और सुमिरन किया। दोनों की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान नारायण ने पुष्यवती और माल्यवान को प्रेत योनि से मुक्त कर दिया।

    भगवान विष्णु की कृपा से दोनों को सुंदर शरीर प्राप्त हुआ और दोनों दोबारा स्वर्गलोक चले गए। जब वहां पहुंचकर इंद्र को प्रणाम किया, तो वह चौंक गए। इसके बाद उन्होंने पिशाच योनि से मुक्ति का उपाय पूछा। इसके बाद माल्यवान ने बताया कि एकादशी व्रत के प्रभाव और भगवान विष्णु की कृपा से दोनों को पिशाच योनि से मुक्ति मिली है। इसी प्रकार जो व्यक्ति जया एकादशी का व्रत रखता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। 

    डिसक्लेमर

    'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'

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