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    Jaya Ekadashi 2024: जया एकादशी पर करें इस स्तोत्र का पाठ, जीवन के दुखों से मिलेगी मुक्ति

    एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति को जीवन में विशेष लाभ देखने को मिल सकते हैं। माना जाता है कि इस व्रत को करने से मनुष्य की समस्त दुखों का नाश होता है और सभी मनोकामनाओं की भी पूर्ति होती है। साल में कुल 24 एकादशी पड़ती है। माघ माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को जया एकादशी कहा जाता है।

    By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Sun, 18 Feb 2024 09:00 AM (IST)
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    Jaya Ekadashi 2024 जया एकादशी पर करें इस स्तोत्र का पाठ।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Jaya Ekadashi 2024 Date: हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी कहा जाता है। मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत करने से साधक को सुख-समृद्धि की प्राप्ति हो सकती है। ऐसे में यदि आप एकादशी के दिन इस का स्तोत्र का पाठ करते हैं, तो इससे आपको जीवन में कई लाभ देखने को मिल सकते हैं।

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    जया एकादशी शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat)

    माघ के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 19 फरवरी को सुबह 08 बजकर 49 मिनट पर हो रहा है। वहीं, इस तिथि का समापन 20 फरवरी को सुबह 09 बजकर 55 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, जया एकादशी का व्रत 20 फरवरी, मंगलवार को किया जाएगा।

    नारायण स्तोत्र पाठ

    विधानम्

    एषा विद्या महानाम्नी पुरा दत्ता मरुत्वते । असुराञ्जितवान्सर्वाञ्च्छ क्रस्तु बलदानवान् ।।1।।

    यः पुमान्पठते भक्त्या वैष्णवो नियतात्मना । तस्य सर्वाणि सिद्धयन्ति यच्च दृष्टिगतं विषम् ।।2।।

    अन्यदेहविषं चैव न देहे संक्रमेद्ध्रुवम् । संग्रामे धारयत्यङ्गे शत्रून्वै जयते क्षणात् ।।3।।

    अतः सद्यो जयस्तस्य विघ्नस्तस्य न जायते । किमत्र बहुनोक्तेन सर्वसौभाग्यसंपदः ।।4।।

    लभते नात्र संदेहो नान्यथा तु भवेदिति । गृहीतो यदि वा येन बलिना विविधैरपि ।।5।।

    शतिं समुष्णतां याति चोष्णं शीतलतां व्रजेत् । अन्यथां न भवेद्विद्यां यः पठेत्कथितां मया ।।6।।

    भूर्जपत्रे लिखेन्मंत्रं गोरोचनजलेन च । इमां विद्यां स्वके बद्धा सर्वरक्षां करोतु मे ।।7।।

    पुरुषस्याथवा स्त्रीणां हस्ते बद्धा विचेक्षणः । विद्रवंति हि विघ्नाश्च न भवंति कदाचनः ।।8।।

    न भयं तस्य कुर्वंति गगने भास्करादयः । भूतप्रेतपिशाचाश्च ग्रामग्राही तु डाकिनी ।।9।।

    शाकिनीषु महाघोरा वेतालाश्च महाबलाः । राक्षसाश्च महारौद्रा दानवा बलिनो हि ये ।।10।।

    असुराश्च सुराश्चैव अष्टयोनिश्च देवता । सर्वत्र स्तम्भिता तिष्ठेन्मन्त्रोच्चारणमात्रतः ।।11।।

    सर्वहत्याः प्रणश्यंति सर्व फलानि नित्यशः । सर्वे रोगा विनश्यंति विघ्नस्तस्य न बाधते ।।12।।

    उच्चाटनेऽपराह्णे तु संध्यायां मारणे तथा । शान्तिके चार्धरात्रे तु ततोऽर्थः सर्वकामिकः ।।13।।

    इदं मन्त्ररहस्यं च नारायणास्त्रमेव च । त्रिकालं जपते नित्यं जयं प्राप्नोति मानवः ।।14।।

    आयुरारोग्यमैश्वर्यं ज्ञानं विद्यां पराक्रमः । चिंतितार्थ सुखप्राप्तिं लभते नात्र संशयः ।।15।।

    मिलते हैं ये लाभ

    नारायण स्तोत्र का पाठ करने से प्रभु श्री हरि की कृपा तो प्राप्त होती ही है। साथ ही जीवन से सभी प्रकार की बुराई दूर होती है और सुख-समृद्धि की भी प्राप्ति होती है। ऐसे में आप जया एकादशी के विशेष अवसर पर इस स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं।

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'