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Ganesh Mantra: करना चाहते हैं गणेश जी को प्रसन्न, तो पूजा के समय जरूर करें इन मंत्रों का जाप

Ganesh Mantra भगवान गणेश को एकदन्त विघ्नहर्ता लंबोदर विनायक सिद्धिविनायक गजानन गौरीनंदन शुभकर्ता और सुखकर्ता आदि नामों से जाना जाता है। भगवान गणेश जी की पूजा करने से बुध ग्रह भी मजबूत होता है। सनातन धर्म में पूजा के समय सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करने का विधान है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarPublished: Tue, 28 Mar 2023 04:10 PM (IST)Updated: Tue, 28 Mar 2023 04:26 PM (IST)
Ganesh Mantra: करना चाहते हैं गणेश जी को प्रसन्न, तो पूजा के समय जरूर करें इन मंत्रों का जाप
Ganesh Mantra: करना चाहते हैं गणेश जी को प्रसन्न, तो पूजा के समय जरूर करें इन मंत्रों का जाप

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Ganesh Mantra: बुधवार के दिन भगवान गणेश जी की पूजा-उपासना की जाती है। भगवान गणेश, देवों के देव महादेव और आदिशक्ति मां पार्वती के पुत्र हैं। इनकी पत्नी रिद्धि और सिद्धि हैं। इनके हाथों में मोदक, त्रिशूल और परशु हैं। एक हाथ आशीर्वाद की मुद्रा में है। इससे समस्त लोकों का कल्याण होता है। ऐसा कहा जाता है कि काव्य महाभारत का लेखन गणेश जी ने किया है। भगवान गणेश को एकदन्त, विघ्नहर्ता, लंबोदर, विनायक, सिद्धिविनायक, गजानन, गौरीनंदन, शुभकर्ता और सुखकर्ता आदि नामों से जाना जाता है। भगवान गणेश जी की पूजा करने से बुध ग्रह भी मजबूत होता है। सनातन धर्म में पूजा के समय सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करने का विधान है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान गणेश जी की पूजा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं यथाशीघ्र पूर्ण होती हैं। इसके लिए गणेश जी को सिद्धिविनायक भी कहा जाता है। अगर आप भी गणेश जी को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो पूजा करते समय इन मंत्रों का जरूर जाप करें। इन मंत्रों के जाप से गणेश जी प्रसन्न होते हैं। आइए जानते हैं-

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1.

महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।

गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।

2.

ॐ ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड, गणपति गुरु गणेश।

ग्लौम गणपति, ऋद्धि पति, सिद्धि पति. करो दूर क्लेश ।।

3.

गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।

श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥

4.

'ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते

वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा'

5.

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गण्पत्ये वर वरदे नमः

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात”

6.

ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा।

7.

गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:।

नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक :।।

धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:।

गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम।।'

8.

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।

निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

9.

त्रयीमयायाखिलबुद्धिदात्रे बुद्धिप्रदीपाय सुराधिपाय।

नित्याय सत्याय च नित्यबुद्धि नित्यं निरीहाय नमोस्तु नित्यम्।

10.

ॐ श्रीं गं सौभाग्य गणपतये।

वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नम:।।

डिसक्लेमर-'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। '


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