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    Brihaspativar Vrat Vidhi: कैसे करें बृहस्पतिवार व्रत की शुरुआत, जानें व्रत और पूजा की विधि

    By Jeetesh KumarEdited By:
    Updated: Thu, 24 Jun 2021 07:10 AM (IST)

    Brihaspativar Vrat Vidhi हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार बृहस्पतिवार का दिन भगवान विष्णु और देवताओं के गुरू बृहस्पति देव को समर्पित है। बृहस्पतिवार के व्रत और पूजन के शास्त्र सम्मत कुछ नियम हैं उनके अनुसार व्रत रखना विशेष फलदायी होता है। आइए जानते हैं बृहस्पतिवार व्रत और पूजन के नियम..

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    कैसे करें बृहस्पतिवार व्रत की शुरुआत, जानें व्रत और पूजा की विधि

    Brihaspativar Vrat Vidhi : हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार, बृहस्पतिवार का दिन भगवान विष्णु और देवताओं के गुरू बृहस्पति देव को समर्पित है। बृहस्पति देव के देवताओं का गुरू होने कारण ही इस दिन को गुरुवार के नाम से भी जाना जाता है। बृहस्पतिवार के दिन भगवान विष्णु की बृहस्पति देव के रूप में पूजा का विधान है। इस दिन विधि पूर्वक भगवान श्री हरि विष्णु का व्रत रखने और पूजन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। बृहस्पतिवार के व्रत और पूजन के शास्त्र सम्मत कुछ नियम हैं, उनके अनुसार व्रत रखना विशेष फलदायी होता है। आइए जानते हैं बृहस्पतिवार व्रत और पूजन के नियम..

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    कैसे करें बृहस्पतिवार व्रत की शुरुआत

    पौष माह को छोड़ कर किसी भी हिंदी महीने से बृहस्पतिवार के व्रत की शुरूआत कर सकते हैं। व्रत की शुरुआत शुक्ल पक्ष से करना शुभ माना जाता है। नियम के अनुसार, बृहस्पतिवार के लगातार 16 व्रत रखने चाहिए तथा 17वें बृहस्पतिवार को उद्यापन किया जाता है। लेकिन इस बीच यदि महिलाओं को मासिक धर्म होता है तो उन्हें उस बृहस्पतिवार का व्रत को छोड़ कर अगले बृहस्पतिवार से व्रत की गणना करनी चाहिए।

    बृहस्पतिवार व्रत की विधि

    बृहस्पतिवार के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र की स्थापना करनी चाहिए। भगवान विष्णु को पीला वस्त्र अर्पित कर, उन्हें पीले फूल, हल्दी तथा गुड़ और चना का भोग लगाया जाता है। हल्दी मिले जल से भगवान का अभिषेक किया जाता है। इसके बाद हाथ में गुड़ और चना लेकर बृहस्पति देव की कथा का पाठ करना चाहिए। बृहस्पतिवार की आरती की जाता है तथा दिन भर फलाहार व्रत रखना चाहिए। व्रत का पारण अगले दिन स्नान और दान के साथ करना चाहिए। बृहस्पतिवार के दिन केला और पीली वस्तुओं का दान करना शुभ माना जाता है।

    डिसक्लेमर

    'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'