Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Holashtak 2023: होलाष्टक शुरू होते ही नवग्रह हुए उग्र, पीड़ा-संकट को दूर करने के लिए रोजाना करें बस एक काम

    By Shivani SinghEdited By: Shivani Singh
    Updated: Mon, 27 Feb 2023 07:42 AM (IST)

    Holashtak 2023 ब्रह्माण्ड पुराण के अनुसार होलाष्टक में नवग्रह को शांत करने उनके दुष्प्रभावों को करने के लिए नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं। रोजाना 9 दिनों तक इसका पाठ करने के साथ नवग्रहों से प्रार्थना करें कि उनकी पीड़ा दूर करें।

    Hero Image
    Holashtak 2023: होलाष्टक शुरू होने के साथ नवग्रह हुए उग्र, पीड़ा

    नई दिल्ली, Holashtak 2023: आज से होलाष्टक शुरू हो चुके हैं, जो 7 मार्च तो होलिका दहन के साथ समाप्त होंगे। आमतौर पर होलाष्टक आठ दिनों के होते हैं, लेकिन इस साल पूरे 9 दिनों के पड़ रहे हैं। पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के साथ होलाष्टक का आरंभ हो रहा है, जो फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि के साथ समाप्त होंगे। इन 9 दिनों में किसी भी तरह के शुभ या फिर मांगलिक काम करने का मनाही है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान विष्णु के परम भक्त प्रहलाद को मारने के लिए उनके पिता हिरण्यकश्यप मे कई प्रकार की यातनाएं दी थी। इसी कारण इस दौरान किसी भी तरह के शुभ कामों की मनाही होती है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, होलाष्टक के दौरान नवग्रह भी काफी उग्र, अशांत होते हैं। ऐसे में 12 राशियों के जातकों के जीवन पर अधिक प्रभाव पड़ता है। ऐसे में किसी तरह का फैसला, काम आदि लेने से बचना चाहिए। अगर आप चाहते हैं कि नवग्रह के उग्र प्रभाव आपके ऊपर न पड़ें, तो ऐसे में आप नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं।

    होलाष्टक पर करें नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्र

    ग्रहाणामादिरात्यो लोकरक्षणकारक:।

    विषमस्थानसम्भूतां पीडां हरतु मे रवि:।।

    रोहिणीश: सुधा‍मूर्ति: सुधागात्र: सुधाशन:।

    विषमस्थानसम्भूतां पीडां हरतु मे विधु:।।

    भूमिपुत्रो महातेजा जगतां भयकृत् सदा।

    वृष्टिकृद् वृष्टिहर्ता च पीडां हरतु में कुज:।।

    उत्पातरूपो जगतां चन्द्रपुत्रो महाद्युति:।

    सूर्यप्रियकरो विद्वान् पीडां हरतु मे बुध:।।

    देवमन्त्री विशालाक्ष: सदा लोकहिते रत:।

    अनेकशिष्यसम्पूर्ण: पीडां हरतु मे गुरु:।।

    दैत्यमन्त्री गुरुस्तेषां प्राणदश्च महामति:।

    प्रभु: ताराग्रहाणां च पीडां हरतु मे भृगु:।।

    सूर्यपुत्रो दीर्घदेहा विशालाक्ष: शिवप्रिय:।

    मन्दचार: प्रसन्नात्मा पीडां हरतु मे शनि:।।

    अनेकरूपवर्णेश्च शतशोऽथ सहस्त्रदृक्।

    उत्पातरूपो जगतां पीडां हरतु मे तम:।।

    महाशिरा महावक्त्रो दीर्घदंष्ट्रो महाबल:।

    अतनुश्चोर्ध्वकेशश्च पीडां हरतु मे शिखी:।।

    Pic Credit- Freepik

    डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।