जानिए कैसे मिले सुख और क्या है धन प्राप्ति के विभिन्न योग
कुंडली में दूसरे भाव को ही धन भाव कहा गया है। इसके अधिपति की स्थिति संग्रह किए जाने वाले धन के बारे में संकेत देती है। कुंडली का चौथा भाव हमारे सुखमय जीवन जीने का संकेत देता है। पांचवां भाव हमारी उत्पादकता बताता है, छठे भाव से ऋणों और उत्तरदायित्वों
कुंडली में दूसरे भाव को ही धन भाव कहा गया है। इसके अधिपति की स्थिति संग्रह किए जाने वाले धन के बारे में संकेत देती है। कुंडली का चौथा भाव हमारे सुखमय जीवन जीने का संकेत देता है। पांचवां भाव हमारी उत्पादकता बताता है, छठे भाव से ऋणों और उत्तरदायित्वों को देखा जाएगा। सातवां भाव व्यापार में साझेदारों को देखने के लिए बताया गया है। इसके अलावा ग्यारहवां भाव आय और बारहवां भाव व्यय से संबंधित है।
प्राचीन काल से ही जीवन में अर्थ के महत्व को प्रमुखता से स्वीकार किया गया। इसका असर फलित ज्योतिष में भी दिखाई देता है। केवल दूसरा भाव सक्रिय होने पर जातक के पास पैसा होता है, लेकिन आय का निश्चित स्रोत नहीं होता जबकि दूसरे और ग्यारहवें दोनों भावों में मजबूत और सक्रिय होने पर जातक के पास धन भी होता है और उस धन से अधिक धन पैदा करने की ताकत भी। ऐसे जातक को ही सही मायने में अमीर कहेंगे।
अतः यह आवश्यक है कि जन्म कुंडली में धन द्योतक ग्रहों एवं भावों का पूर्ण रूपेण विवेचन किया जाये। ज्योतिष शास्त्र में जन्म कुंडली में धन योग के लिए द्वितीय भाव, पंचम भाव, नवम भाव व एकादश भाव विचारणीय है। पंचम-एकादश धुरी का धन प्राप्ति में विशेष महत्व है। महर्षि पराशर के अनुसार जैसे भगवान विष्णु के अवतरण के समय पर उनकी शक्ति लक्ष्मी उनसे मिलती है तो संसार में उपकार की सृष्टि होती है। उसी प्रकार जब केन्द्रों के स्वामी त्रिकोणों के भावधिपतियों से संबंध बनाते हैं तो बलशाली धन योग बनाते हैं। यदि केन्द्र का स्वामी-त्रिकोण का स्वामी भी है, जिसे ज्योतिषीय भाषा में राजयोग भी कहते हैं। इसके कारक ग्रह यदि थोड़े से भी बलवान हैं तो अपनी और विशेषतया अपनी अंतर्दशा में निश्चित रूप से धन पदवी तथा मान में वृद्धि करने वाले होते हैं।
किसी व्यक्ति के धनी होने का आकलन उसकी सुख सुविधाओं से किया जाता है। ऐसे में शुक्र की भूमिका उत्तरोत्तर महत्वपूर्ण होती जा रही है। किसी जातक की कुंडली में शुक्र बेहतर स्थिति में होने पर जातक सुविधा संपन्न जीवन जीता है।
भाग्येश बुध से लाभेश मंगल कार्येश शुक्र सुखेश मंगल पंचमेश शुक्र लगनेश शनि धनेश शनि का गोचर से जन्म के बुध के साथ गोचर हो.
कार्येश शुक्र का लाभेश मंगल सुखेश मंगल लगनेश शनि पंचमेश शुक्र धनेश शनि से गोचर से जन्म के कार्येश शुक्र के साथ गोचर हो.
लाभेश मंगल का धनेश शनि लगनेश शनि से गोचर से जन्म के मंगल के साथ युति बने. -
लगनेश शनि का सुखेश मंगल धनेश शनि पंचमेश शुक्र से गोचर से जन्म के शनि के साथ योग बने.
धनेश शनि का सुखेश मंगल पंचमेश शुक्र से योगात्मक रूप जन्म के शनि के साथ बने.
सुखेश मंगल के साथ पंचमेश शुक्र से गोचर से जन्म के मंगल के साथ योगात्मक रूप बने.
अगर भाग्येश और षष्ठेस एक ही ग्रह हो
मकर लगन की कुंडली मे भाग्येश और षष्ठेश बुध एक ही ग्रह है,यह धन आने का कारण तो बनायेंगे लेकिन अधिकतर मामले मे धनेश,लगनेश,सुखेश,कार्येश के प्रति धन को या तो नौकरी से प्राप्त करवायेंगे या कर्जा से धन देने के लिये अपनी युति को देंगे.
यदि चन्द्रमा से 6, 7, 8वें भाव में समस्त शुभ ग्रह विद्यमान हों और वे शुभ ग्रह क्रूर राशि में न हों और न ही सूर्य के समीप हों तो ऐसे योग (चन्द्राधियोग) में उत्पन्न होने वाला जातक धन, ऐश्वर्य से युक्त होता है तथा महान बनता है।
अनफा व सुनफा योग जो चन्द्र से द्वितीय, द्वादश भाव में सूर्य को छोड़कर अन्य ग्रहों की स्थिति द्वारा बनते हैं, जातक अपने पुरुषार्थ से धन को प्राप्त करता है। या करने वाला होता है।
पुष्फल योग एक धन और यश देने वाला योग है, जिसमें चन्द्राधिष्ठित, राशि के स्वामी का लग्नेश के साथ होकर केन्द्र में बलवान होना अपेक्षित होता है।
चंद्रमा से तीसरे, छठे, दसवें, ग्यारहवें स्थानों में शुभ ग्रह हों।
गज केसरी योग जिसमें बृहस्पति और चन्द्र का केन्द्रीय समन्वय होता है, धन एवं यश देने वाला होता है।
धनेश अष्टम भाव में तथा अष्टमेश धन भाव में हो।
यदि धनेश लाभ भाव में हो तो जातक धनी होता है।
ज्योतिषीय धन आने के उपाय
वक्री मंगल के लिये यह जरूरी है कि किसी से भी कोई वस्तु बिना मूल्य चुकाये नही ले,हो सके तो दान मे दी जाने वाली वस्तुओं का परित्याग करे।
कभी भी नाखून दांत हड्डी सींग बाल आदि से बने सामान का प्रयोग नही करे,और ना ही घर मे रखें।
मूंगा सवा सात रत्ती का गोल्ड मे या तांबे मे पेंडेंट की शक्ल मे बनवा कर गले मे धारण करे।
भाग्येश को बल देने के लिये चौडे पत्ते वाले पेड घर मे लगायें,दांत साफ़ रखे,किसी प्रकार की झूठी गवाही या इसी प्रकार के दस्तावेज को प्रस्तुत करने के बाद अपने काम को निकालने की कोशिश नही करे,अन्यथा झूठे मुकद्दमे या इसी प्रकार के आक्षेप बजाय धन देने के पास से भी खर्च करवा सकते है।
किसी भी पीर फ़कीर का दिया ताबीज या यंत्र घर या पूजा मे नही रखें।
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