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    Hartalika Teej 2023: हरतालिका तीज व्रत पर सुहागिन महिलाएं इस विधि से करें पूजा, भूलकर भी न करें ये गलतियां

    By Suman SainiEdited By: Suman Saini
    Updated: Fri, 01 Sep 2023 01:18 PM (IST)

    Hartalika Teej 2023 हरियाली तीज और कजरी तीज के बाद अब हरतालिका तीज का त्योहार मनाया जाएगा। यह व्रत भी अन्य दोनों व्रत के समान ही महत्व रखता है। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत किया जाता है। हरतालिका तीज व्रत एक कठिन व्रत माना जाता है। इसमें महिलाएं निर्जला व्रत रखकर पति की लंबी उम्र के लिए कामना करती हैं।

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    Hartalika Teej 2023: हरतालिका तीज व्रत पर सुहागिन महिलाएं भूलकर भी न करें ये गलतियां।

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Hartalika Teej Vrat Niyam: हरियाली तीज की तरह हरतालिका तीज का भी विशेष महत्व है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, हरतालिका तीज व्रत 18 सितंबर 2023, सोमवार के दिन रखा जाएगा। आइए जानते हैं कि इस व्रत के दौरान किन नियमों का पालन करना चाहिए, साथ ही किन गलतियों को करने से बचना चाहिए।  

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    इस विधि से करें पूजा

    हरतालिका तीज के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत होने के बाद सुहागिन महिलाएं नए या साफ वस्त्र धारण करें। इस बाद शुभ मुहूर्त में दीपक जलाकर व्रत का संकल्प लें और पूजा आरंभ करें। हरतालिका तीज व्रत के दिन पूजा से पहले भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की मिट्टी से बनी प्रतिमा स्थापित करें। फिर विधि-विधान से पूजा करें। इसके बाद व्रत कथा का पाठ करें, अंत में आरती करें। इस दिन रात्रि में भजन-कीर्तन करना चाहिए। सुबह माता पार्वती को सिंदूर अर्पित करें और हलवे का भोग लगाकर अपना व्रत खोलें।

    न करें ये गलतियां

    इस व्रत के दौरान दिन में सोना वर्जित माना गया है। हरतालिका व्रत के दिन पूजा में व्रत कथा जरूर पढ़ें, क्योंकि व्रत कथा पढ़े या श्रवण किए बिना व्रत पूरा नहीं माना जाता। ऐसा माना जाता है कि जो महिला इस व्रत को एक बार कर लेती है, उसे ये व्रत जीवन भर रखना पड़ता है। यदि आप ऐसा करने में असमर्थ हैं तो आपके स्थान पर आपका पति या कोई अन्य महिला भी यह व्रत कर सकता है।

    हरतालिका तीज पर व्रतधारी स्त्रियों को क्रोध करने से बचना चाहिए। दूसरों के प्रति द्वेष की भावना न रखें, साथ ही अपनी वाणी पर संयम बनाए रखें तभी व्रत सफल होगा। साथ ही इस दिन पति या दूसरों से वाद-विवाद न करें। मान्यता है ऐसा करने से व्रत का प्रभाव कम हो जाता है और पूर्ण फल नहीं मिलता। 

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'