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    Hariyali Teej 2025: हरियाली तीज की पूजा में जरूर करें ये आरती, मिलेगा शिव-शक्ति का आशीर्वाद

    Updated: Sun, 27 Jul 2025 06:10 AM (IST)

    हरियाली तीज का पर्व महिलाओं खासकर सुहागन महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। कई स्थानों पर महिलाएं इस दिन पर व्रत भी करती हैं। इसके साथ ही कुवारी कन्याएं भी अच्छे वर की कामना के लिए इस व्रत को रखती हैं। इस दिन पर हरे रंग के कपड़े और चूड़ी पहनने व झूला झूलने की परंपरा चली आ रही है।

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    Hariyali Teej 2025: जरूर करें हरियाली तीज की पूजा।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल सावन शुक्ल तृतीया पर हरियाली तीज का पर्व मनाया जाता है। ऐसे में इस साल हरियाली तीज आज यानी 27 जुलाई को मनाई जा रही है। इस दिन पर भगवान शिव और माता गौरी की पूजा का विधान है। पूजा के दौरान शिव जी के साथ-साथ पार्वती माता की आरती भी जरूर करनी चाहिए, ताकि आपको पूजा का पूर्ण फल प्राप्त हो सके।

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    माता पार्वती की आरती (Parvati ji ki Aarti)

    जय पार्वती माता, जय पार्वती माता।

    ब्रह्म सनातन देवी, शुभ फल की दाता।।

    जय पार्वती माता।

    अरि कुल पद्मा विनाशिनी, जय सेवक त्राता।

    जग जीवन जगदम्बा, हरिहर गुण गाता।।

    जय पार्वती माता।

    सिंह को वाहन साजे, कुंडल है साथा।

    देव वधु जहं गावत, नृत्य कर थाथा।।

    जय पार्वती माता।

    सत्युग शील सुसुन्दर, नाम सती कहलाता।

    हेमांचल घर जन्मी, सखियन रंगराता।।

    जय पार्वती माता।

    शुम्भ-निशुम्भ विदारे, हेमांचल स्याता।

    सहस भुजा तनु धरिके, चक्र लियो हाथा।।

    जय पार्वती माता।

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    शिव जी की आरती (Shiv ji ki Aarti)

    ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।

    ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥

    ओम जय शिव ओंकारा॥

    एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।

    हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥

    ओम जय शिव ओंकारा॥

    दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।

    त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥

    ओम जय शिव ओंकारा॥

    अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी।

    त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥

    ओम जय शिव ओंकारा॥

    श्वेताम्बर पीताम्बर बाघंबर अंगे।

    सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे॥

    ओम जय शिव ओंकारा॥

    कर के मध्य कमण्डल चक्र त्रिशूलधारी।

    जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता॥

    ओम जय शिव ओंकारा॥

    ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।

    प्रणवाक्षर के मध्ये ये तीनों एका॥

    ओम जय शिव ओंकारा॥

    पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।

    भांग धतूरे का भोजन, भस्मी में वासा॥

    ओम जय शिव ओंकारा॥

    जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।

    शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥

    ओम जय शिव ओंकारा॥

    काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।

    नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥

    ओम जय शिव ओंकारा॥

    त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।

    कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥

    ओम जय शिव ओंकारा॥

    स्वामी ओम जय शिव ओंकारा॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।