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    Hanuman Chalisa: रोग-दोष से मुक्ति के लिए इस विधि से करें हनुमान चालीसा का पाठ

    By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo Mishra
    Updated: Sat, 12 Aug 2023 07:00 AM (IST)

    Hanuman Chalisa lyrics in hindi हनुमान जी की गणना अष्ट चिरंजीवी देवताओं में की जाती है। हर दिन हनुमान चालीसा का पाठ करने से साधकों को विशेष लाभ मिलता है और जीवन में आ रही कई प्रकार की समस्याएं दूर हो जाती है। बता दें कि साधक को हनुमान चालीसा का पाठ करते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए। आइए जानते हैं हनुमान चालीसा पूजा विधि और नियम।

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    Hanuman Chalisa इस विधि से करें हनुमान चालीसा का पाठ।

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क । Hanuman Chalisa Lyrics: हिन्दू धर्म में हनुमान चालीसा के पाठ को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नितदिन हनुमान चालीसा का पाठ करने से साधक को सुख एवं समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही जीवन में आ रही कई प्रकार की समस्याएं दूर हो जाती है। मान्यता है हनुमान जी को समर्पित इस प्रमुख चालीसा का पाठ करने से साधक को रोग, दोष और विभिन्न प्रकार की समस्याओं से मुक्ति प्राप्त हो जाती है। जो व्यक्ति पूर्ण श्रद्धा भाव से हनुमान चालीसा का पाठ करता है, उन्हें हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। साथ ही जीवन में आ रही समस्याएं दूर हो जाती है।

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    हनुमान चालीसा पाठ करते समय रखें इन बातों का ध्यान

    • शास्त्रों के अनुसार, हनुमान चालीसा का पाठ करते समय साधक का मुख पूर्व या दक्षिण दिशा में होना चाहिए। हो सके तो चालीसा पाठ करते समय लाल वस्त्र धारण करें।

  • हनुमान चालीसा के पाठ के दौरान शुद्धता का विशेष ध्यान रखें और शुद्ध घी का तेल या तिल के तेल का दिया जलाकर चालीसा का पाठ करें। साथ ही बजरंगबली को लड्डू का भोग लगाएं

  • जो लोग नितदिन हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं, उन्हें मांस-मदिरा का सेवन ना करना चाहिए। साथ ही हो सके तो कम से कम 03 बार हनुमान चालीसा का पाठ करें।

  • मन ही मन हनुमान जी का स्मरण परते हुए और पूर्ण श्रद्धाभाव से हनुमान चालीसा का पाठ करें। साथ ही मन में किसी भी प्रकार का नकारात्मक भाव न आने दें।

  • हनुमान चालीसा

    ।। दोहा।।

    श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि ।

    बरनउं रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ।।

    बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन-कुमार ।

    बल बुधि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार ।।

    ।। चौपाई ।।

    जय हनुमान ज्ञान गुन सागर । जय कपीस तिहुं लोक उजागर ।।

    राम दूत अतुलित बल धामा । अंजनि पुत्र पवनसुत नामा ।।

    महाबीर बिक्रम बजरंगी । कुमति निवार सुमति के संगी ।।

    कंचन बरन बिराज सुबेसा । कानन कुण्डल कुंचित केसा ।।

    हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजै । कांधे मूंज जनेउ साजै ।।

    शंकर स्वयं/सुवन केसरी नंदन । तेज प्रताप महा जगवंदन ।।

    बिद्यावान गुनी अति चातुर । राम काज करिबे को आतुर ।।

    प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया । राम लखन सीता मन बसिया ।।

    सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा । बिकट रूप धरि लंक जरावा ।।

    भीम रूप धरि असुर संहारे । रामचन्द्र के काज संवारे ।।

    लाय सजीवन लखन जियाए । श्री रघुबीर हरषि उर लाये ।।

    रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई । तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ।।

    सहस बदन तुम्हरो जस गावैं । अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ।।

    सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा । नारद सारद सहित अहीसा ।।

    जम कुबेर दिगपाल जहां ते । कबि कोबिद कहि सके कहां ते ।।

    तुम उपकार सुग्रीवहिं कीह्ना । राम मिलाय राज पद दीह्ना ।।

    तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना । लंकेश्वर भए सब जग जाना ।।

    जुग सहस्त्र जोजन पर भानु । लील्यो ताहि मधुर फल जानू ।।

    प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं । जलधि लांघि गये अचरज नाहीं ।।

    दुर्गम काज जगत के जेते । सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ।।

    राम दुआरे तुम रखवारे । होत न आज्ञा बिनु पैसारे ।।

    सब सुख लहै तुम्हारी सरना । तुम रक्षक काहू को डरना ।।

    आपन तेज सम्हारो आपै । तीनों लोक हांक तै कांपै ।।

    भूत पिशाच निकट नहिं आवै । महावीर जब नाम सुनावै ।।

    नासै रोग हरै सब पीरा । जपत निरंतर हनुमत बीरा ।।

    संकट तै हनुमान छुडावै । मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ।।

    सब पर राम तपस्वी राजा । तिनके काज सकल तुम साजा ।।

    और मनोरथ जो कोई लावै । सोई अमित जीवन फल पावै ।।

    चारों जुग परताप तुम्हारा । है परसिद्ध जगत उजियारा ।।

    साधु सन्त के तुम रखवारे । असुर निकंदन राम दुलारे ।।

    अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता । अस बर दीन जानकी माता ।।

    राम रसायन तुम्हरे पासा । सदा रहो रघुपति के दासा ।।

    तुम्हरे भजन राम को पावै । जनम जनम के दुख बिसरावै ।।

    अंतकाल रघुवरपुर जाई । जहां जन्म हरिभक्त कहाई ।।

    और देवता चित्त ना धरई । हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ।।

    संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ।।

    जै जै जै हनुमान गोसाईं । कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ।।

    जो सत बार पाठ कर कोई । छूटहि बंदि महा सुख होई ।।

    जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा । होय सिद्धि साखी गौरीसा ।।

    तुलसीदास सदा हरि चेरा । कीजै नाथ हृदय मह डेरा ।।

    ।। दोहा ।।

    पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप ।

    राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप ।।

    डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।