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    Hanuman Ashtak: मंगलवार के दिन करें हनुमान अष्टक का पाठ, नहीं होंगे कभी दुर्घटना के शिकार

    By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi Dwivedi
    Updated: Tue, 24 Oct 2023 07:00 AM (IST)

    Hanuman Ashtak Path मंगलवार का दिन पवन पुत्र हनुमान को समर्पित है। इस दिन राम भक्त की आराधना की जाती है। ऐसा कहा जाता है जो लोग बजरंग बली की पूजा श्रद्धा पूर्वक करते है उनकी कभी अकाल मृत्यु नहीं होती है। न ही वो कभी दुर्घटना के शिकार होते हैं। ऐसे में आप समस्याओं से छुटकारा पाना चाहते हैं तो मंगलवार के दिन हनुमान अष्टक का पाठ करें।

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    Hanuman Ashtak Path

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Hanuman Ashtak: भगवान हनुमान कलयुग के जाग्रत देवता माने गए हैं। उनकी आराधना से प्रभु श्री राम की कृपा सदैव बनी रहती है। सनातन धर्म में प्रत्येक देवी-देवताओं के लिए अलग-अलग दिनों का विभाजन किया गया है, जिसमें से मंगलवार का दिन पवन पुत्र हनुमान को समर्पित है। इस दिन राम भक्त की आराधना की जाती है। ऐसा कहा जाता है, जो लोग बजरंग बली की पूजा श्रद्धा पूर्वक करते है, उनकी कभी अकाल मृत्यु नहीं होती है। न ही वो कभी दुर्घटना के शिकार होते हैं।

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    ऐसे में आप समस्याओं से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो मंगलवार के दिन हनुमान अष्टक ( Hanuman Ashtak) का पाठ करें। हनुमान अष्टक का पाठ बेहद कल्याणकारी है। तो आइए यहां पढ़ते हैं -

    ॥ हनुमानाष्टक ॥

    बाल समय रवि भक्षी लियो तब,

    तीनहुं लोक भयो अंधियारों ।

    ताहि सों त्रास भयो जग को,

    यह संकट काहु सों जात न टारो ।

    देवन आनि करी बिनती तब,

    छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो ।

    को नहीं जानत है जग में कपि,

    संकटमोचन नाम तिहारो ॥॥

    बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि,

    जात महाप्रभु पंथ निहारो ।

    चौंकि महामुनि साप दियो तब,

    चाहिए कौन बिचार बिचारो ।

    कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु,

    सो तुम दास के सोक निवारो ॥॥

    अंगद के संग लेन गए सिय,

    खोज कपीस यह बैन उचारो ।

    जीवत ना बचिहौ हम सो जु,

    बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो ।

    हेरी थके तट सिन्धु सबै तब,

    लाए सिया-सुधि प्राण उबारो ॥ ॥

    रावण त्रास दई सिय को सब,

    राक्षसी सों कही सोक निवारो ।

    ताहि समय हनुमान महाप्रभु,

    जाए महा रजनीचर मारो ।

    चाहत सीय असोक सों आगि सु,

    दै प्रभुमुद्रिका सोक निवारो ॥॥

    बान लग्यो उर लछिमन के तब,

    प्राण तजे सुत रावन मारो ।

    लै गृह बैद्य सुषेन समेत,

    तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो ।

    आनि सजीवन हाथ दई तब,

    लछिमन के तुम प्रान उबारो ॥ ॥

    रावन युद्ध अजान कियो तब,

    नाग कि फाँस सबै सिर डारो ।

    श्रीरघुनाथ समेत सबै दल,

    मोह भयो यह संकट भारो I

    आनि खगेस तबै हनुमान जु,

    बंधन काटि सुत्रास निवारो ॥॥

    बंधु समेत जबै अहिरावन,

    लै रघुनाथ पताल सिधारो ।

    देबिहिं पूजि भलि विधि सों बलि,

    देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो ।

    जाय सहाय भयो तब ही,

    अहिरावन सैन्य समेत संहारो ॥ ॥

    काज किये बड़ देवन के तुम,

    बीर महाप्रभु देखि बिचारो ।

    कौन सो संकट मोर गरीब को,

    जो तुमसे नहिं जात है टारो ।

    बेगि हरो हनुमान महाप्रभु,

    जो कछु संकट होय हमारो ॥ ॥

    ॥ दोहा ॥

    लाल देह लाली लसे,

    अरु धरि लाल लंगूर ।

    वज्र देह दानव दलन,

    जय जय जय कपि सूर ॥

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