Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Guru Pushya Yog 2023: सभी क्षेत्रों में सफलता दिलाएंगे ये मंत्र, गुरु पुष्य योग में करें इनका जाप

    By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo Mishra
    Updated: Tue, 23 May 2023 02:29 PM (IST)

    Guru Pushya Yog 2023 जल्द ही गुरु पुष्य योग का निर्माण हो रहा है। इस शुभ योग में पूजा-पाठ स्नान दान और मंत्रों के उच्चारण का विशेष महत्व है। इस दिन देवगुरु बृहस्पति के मंत्रों का जाप करने से जीवन में आ रही समस्याएं दूर हो जाती हैं।

    Hero Image
    Guru Pushya Yog 2023: गुरु पुष्य योग में करें इन मंत्रों का जाप।

    नई दिल्ली, आध्यात्म डेस्क | Guru Pushya Yog 2023: हिन्दू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि अर्थात 25 मई 2023, गुरुवार के दिन पुष्य नक्षत्र का निर्माण हो रहा है। इस दिन गुरु पुष्य योग भी बन रहा है। ज्योतिष शास्त्र में गुरु पुष्य योग को अत्यंत लाभकारी योग बताया गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गुरु पुष्य योग की अवधि में पूजा-पाठ और खरीदारी करने से साधक को विशेष लाभ मिलता है। पंचांग में बताया गया है कि गुरु पुष्य योग का निर्माण इस दिन सुबह 05 बजकर 26 मिनट से शाम 05 बजकर 54 मिनट (Guru Pushya Yog 2023 Date and Time) के बीच होगा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इस नक्षत्र में देवी-देवताओं की उपासना और मंत्र आदि के जाप को बहुत ही महत्पूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में आ रही सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं और साधकों को मां लक्ष्मी व देवगुरु बृहस्पति का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइए जानते हैं, किन मंत्रों के जाप से मिलता है साधक को लाभ-

    गुरु पुष्य योग में करें इन मंत्रों का जाप

    1. वंदे बृहस्पतिं पुष्यदेवता मानुशाकृतिम्।

    सर्वाभरण संपन्नं देवमंत्रेण मादरात्।।

    2. ॐ बृहस्पते अतियदर्यौ अर्हाद दुमद्विभाति क्रतमज्जनेषु।

    यददीदयच्छवस ऋतप्रजात तदस्मासु द्रविण धेहि चित्रम।

    3. ॐ पुष्याय नम:।

    4. ॐ बृहस्पतये नम:।

    रोग, दोष और समस्याओं से मुक्ति के लिए गुरु पुष्य योग में पीपल के पेड़ की पूजा अवश्य करें और पूजा के समय इस मंत्र का जाप जरुर करें।

    5. आयु: प्रजां धनं धान्यं सौभाग्यं शरणं गत:।

    देहि देव महावृक्ष त्वामहं शरणं गत:।।

    अश्वत्थ ह्युतझुग्वास गोविन्दस्य सदाप्रिय

    अशेषं हर मे पापं वृक्षराज नमोस्तुते।।

    डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।