Gopashtami 2022: गोपाष्टमी पर्व के दिन करें गौ माता की पूजा, जानें तिथि शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Gopashtami 2022 हिन्दू धर्म में गौ माता को पूजनीय माना जाता है। गोपाष्टमी पर्व के दिन इनकी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन गौ माता को भोजन कराने से और उनकी आरती करने से भक्तों को विशेष लाभ मिलता है।
नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क | Gopashtami 2022: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन गोपाष्टमी पर्व मनाया जाता है। इस दिन गौ माता की विशेष पूजा का विधान शास्त्रों में वर्णित है। मान्यता है कि गोपाष्टमी के दिन गाय माता में सभी देवी-देवताओं का वास होता है। इसलिए इस दिन उनकी पूजा करने से व्यक्ति को देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उनके सभी दुःख-दर्द दूर हो जाते हैं। इस साल यह पर्व 1 नवम्बर (Gopashtami 2022 ) के दिन मनाया जाएगा। बता दें कि यह पर्व विशेष रूप से वृन्दावन, मथुरा में धूम-धाम से मनाया जाता है। आइए जानते हैं तिथि और शुभ मुहूर्त।
गोपाष्टमी 2022 तिथि और शुभ मुहूर्त (Gopashtami 2022 Tithi)
कार्तिक शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि प्रारम्भ: 31 अक्टूबर 2022, सोमवार से
अष्टमी तिथि समाप्त: 1 नवंबर 2022, मंगलवार रात 11:03 तक
गोपाष्टमी व्रत तिथि: 1 नवंबर 2022, मंगलवार
गोपाष्टमी पर बन रहा है अभिजीत मुहूर्त (Gopashtami 2022 Shubh Muhurat)
हिन्दू पंचांग के अनुसार इस वर्ष गोपाष्टमी पर्व के दिन अभिजित मुहूर्त का निर्माण हो रहा है। मान्यता है कि अभिजीत मुहूर्त में पूजा-पाठ करने से भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है। कार्तिक शुक्ल पक्ष पर अष्टमी तिथि सुबह 11:47 से दोपहर 12:31 तक रहेगा। यह समय पूजा के लिए सर्वोत्तम है।
गोपाष्टमी पूजा विधि (Gopashtami 2022 Puja Vidhi)
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान-ध्यान के बाद साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद गाय और उसके बछड़े को माला पहनाएं व तिलक लगाएं। इसके बाद गाय की धूप, दीप, पुष्प आदि से पूजा करें। इस दिन उन्हें अपने हाथों से भोजन कराना न भूलें। अंत में उनके चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लें और उनकी आरती करें। शास्त्रों में एक उपाय यह भी बताया है कि इस दिन गाय को गुड़ का भोग लगाने से सूर्य दोष से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही घर के नजदीक बनें गौशाला में दान जरूर करें।
गोपाष्टमी पर करें इस मंत्र का जाप (Gopashtami Puja Mantra)
सुरभि त्वं जगन्मातर्देवी विष्णुपदे स्थिता ।
सर्वदेवमये ग्रासं मया दत्तमिमं ग्रस ।।
तत: सर्वमये देवि सर्वदेवैरलड्कृते ।
मातर्ममाभिलाषितं सफलं कुरु नन्दिनी ।।
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