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    Goga Navami 2023: श्री गोगा नवमी आज, संतान सुख के लिए होती है इन देवता की पूजा

    By Suman SainiEdited By: Suman Saini
    Updated: Fri, 08 Sep 2023 10:15 AM (IST)

    Goga Navami 2023 गोगा नवमी वाल्मीकि समाज का मुख्य पर्व है। गोगा नवमी के दिन गोगादेव यानी जाहरवीर का जन्मोत्सव मनाया जाता है। साथ ही इस दिन नागों की पू ...और पढ़ें

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    Goga Navami 2023 जानिए गोगा नवमी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Shree Goga Navami 2023: पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को श्री गोगा नवमी का पर्व मनाया जाता है। गोगा देव की पूजा श्रावणी पूर्णिमा से शुरू हो जाती है और पूरे 9 दिनों तक यह पर्व मनाया जाता है। इसके साथ ही नवमी तिथि तक गोगा देव की पूजा की जाती है। इसी कारण इसे गोगा नवमी कहा जाता है। इस साल गोगा नवमी 8 सितंबर 2023 को मनाई जाएगी।

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    श्री गोगा नवमी का महत्व (Goga Navami Importance)

    श्री गोगा नवमी, राजस्थान का लोकपर्व है। यहां इसे गुग्गा नवमी के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा इसे मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी मनाया जाता है। कथा के अनुसार यहां गोगाजी को सांपों का देवता के रूप में पूजा जाता है। मान्यताओं के अनुसार, गोगादेव की पूजा से निसंतान दंपत्ति को संतान सुख की प्राप्ति होती है। गोगादेव के पास नागों को वश में करने की शक्ति थी, इनकी पूजा से सर्प के डसने का भय नहीं रहता। इन्हें गुरु गोरखनाथ का परम शिष्य माना जाता है।

    गोगा नवमी पूजा का मुहूर्त (Goga Navami shubh muhurt)

    पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि 07 सितंबर 2023 को शाम 04 बजकर 14 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन अगले दिन 08 सितंबर 2023 को शाम 05 बजकर 30 मिनट पर होगा। ऐसे में पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 07 बजकर 36 से सुबह 10 बजकर 45 तक रहेगा, इसके बाद दोपहर का मुहूर्त 12 बजकर 19 से 01 बजकर 53 तक रहेगा, तो वहीं शाम की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 5 बजकर 01 से 6 बजकर 35 तक रहेगा।

    गोगा नवमी की पूजा विधि (Goga Navami Puja vidhi)

    गोगा नवमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत होने के बाद गोगा जी की मिट्टी से मूर्ति बना लें या आप चाहें तो मार्केट से भी गोगा देव की मिट्टी की मूर्ति ला सकते हैं। गोगा देव को चावल, रोली, वस्त्र आदि पहना दें। गोगा देव को खीर, चूरमा और गुलगुले आदि का भोग लगाए साथ ही घोड़े के सामने दाल रख दें। इसके साथ ही रक्षाबंधन पर बहनों ने भाईयों की कलाई में जो रक्षासूत्र बांधा था उसे खोलकर गोगा देव को अर्पित कर दें। ऐसा करना शुभ माना जाता है। अब गोगा देव की विधिवत पूजा करने के बाद आरती करें।

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'