Ganesh Puja: गणेश पूजा में करें मंत्रों के साथ इस स्तोत्र का पाठ, देखते-ही-देखते सारे दुख होंगे दूर
वैसे तो हर दिन गणेश जी की पूजा करना शुभफल दायी माना गया है लेकिन बुधवार के दिन विशेष पूजा-अर्चना (Ganesh Puja) से गणेश जी जल्द प्रसन्न होते हैं। इस दिन आप पूजा के दौरान गणेश जी के मंत्रों के साथ-साथ ऋण मोचन मंगल स्तोत्र का पाठ भी कर सकते हैं। इससे आपको जीवन में अद्भुत लाभ देखने को मिलते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। शिव जी के पुत्र भगवान गणेश को प्रथम पूज्य देव के रूप में जाना जाता है। किसी भी कार्य की शुरुआत गणेश जी का आवहान करने के बाद ही की जाती है। माना जाता है कि इससे साधक का वह कार्य निर्विघ्न रूप से पूरा होता है। वहीं बुधवार का दिन गणेश जी की पूजा के लिए समर्पित माना गया है। आप इस दिन विशेष रूप से पूजा-अर्चना कर गणपति की कृपा के पात्र भी बन सकते हैं।
ऋण मोचन मंगल स्तोत्र
मङ्गलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः ।
स्थिरासनो महाकयः सर्वकर्मविरोधकः ॥
लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां कृपाकरः ।
धरात्मजः कुजो भौमो भूतिदो भूमिनन्दनः॥
अङ्गारको यमश्चैव सर्वरोगापहारकः ।
व्रुष्टेः कर्ताऽपहर्ता च सर्वकामफलप्रदः॥
एतानि कुजनामनि नित्यं यः श्रद्धया पठेत् ।
ऋणं न जायते तस्य धनं शीघ्रमवाप्नुयात् ॥
धरणीगर्भसम्भूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम् ।
कुमारं शक्तिहस्तं च मङ्गलं प्रणमाम्यहम् ॥
स्तोत्रमङ्गारकस्यैतत्पठनीयं सदा नृभिः ।
न तेषां भौमजा पीडा स्वल्पाऽपि भवति क्वचित् ॥
अङ्गारक महाभाग भगवन्भक्तवत्सल ।
त्वां नमामि ममाशेषमृणमाशु विनाशय ॥
ऋणरोगादिदारिद्रयं ये चान्ये ह्यपमृत्यवः ।
भयक्लेशमनस्तापा नश्यन्तु मम सर्वदा ॥
अतिवक्त्र दुरारार्ध्य भोगमुक्त जितात्मनः ।
तुष्टो ददासि साम्राज्यं रुश्टो हरसि तत्ख्शणात् ॥
विरिंचिशक्रविष्णूनां मनुष्याणां तु का कथा ।
तेन त्वं सर्वसत्त्वेन ग्रहराजो महाबलः ॥
पुत्रान्देहि धनं देहि त्वामस्मि शरणं गतः ।
ऋणदारिद्रयदुःखेन शत्रूणां च भयात्ततः ॥
एभिर्द्वादशभिः श्लोकैर्यः स्तौति च धरासुतम् ।
महतिं श्रियमाप्नोति ह्यपरो धनदो युवा ॥
(Picture Credit: Freepik) (AI Image)
माना जाता है कि बुधवार के दिन इस स्तोत्र का पाठ करने से गणेश जी की असीम कृपा प्राप्त होती है। साथ ही इस स्तोत्र के पाठ से कर्ज की समस्या से भी मुक्ति मिल सकती है।
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गणेश जी के मंत्र
गणेश जी की पूजा में उनके मंत्रों का जप करने से भी साधक को शुभ फलों की प्राप्ति होती है और जीवन में आ रही बाधाएं दूर होने लगती हैं।
॥ ॐ गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा ॥
श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥
॥ ॐ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात् ॥
'इदं दुर्वादलं ऊं गं गणपतये नमः'
ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा।
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