Ganesh Visarjan 2020: आज इस मुहूर्त में करें गणपति विसर्जन, जानें पूजा विधि एवं पूरी प्रक्रिया
Ganesh Visarjan 2020 हर वर्ष अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति बप्पा की मूर्तियों का विसर्जन होता है। आइए जानते हैं कि गणपति विसर्जन का शुभ मुहूर्त विधि आदि क्या है।
Ganesh Visarjan 2020: हर वर्ष अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति बप्पा की मूर्तियों का विसर्जन होता है। गणेश चतुर्थी के दिन से 10 दिनों के लिए रखी जाने वाली गणेश प्रतिमाओं का बहते हुए जल में अनंत चतुर्दशी के दिन विधि विधान से विसर्जन करते हैं। गणेश चतुर्थी के दिन जिस हर्षोल्लास से गणपति बप्पा को अपने घर लाते हैं और उनकी विधि विधान से 10 दिनों तक पूजा करते हैं, ठीक उसी प्रकार आनंदपूर्वक विघ्नहर्ता गणेश जी को विदा किया जाता है और उनसे फिर अगले वर्ष आने की प्रार्थना की जाती है ताकि वे हमारे सभी कष्टों और संकटों का नाश करें। इस वर्ष कोरोना महामारी के कारण कम संख्या में ही लोग विसर्जन के लिए जाएं और घाटों पर भीड़ लगाने से बचें। आइए जानते हैं कि गणपति विसर्जन का शुभ मुहूर्त, विधि आदि क्या है।
गणपति विसर्जन का शुभ मुहुर्त
01 सितंबर अनंत चतुर्दशी को गणेश विसर्जन होगा। ऐसे में आपके लिए गणपति विसर्जन के तीन मुहूर्त हैं। आप अपनी सुविधा और समय अनुसार गणपति का विसर्जन करें।
सुबह का मुहूर्त: 09 बजकर 10 मिनट से दोपहर 01 बजकर 56 मिनट तक।
दोपहर का मुहूर्त: दोपहर 03 बजकर 32 मिनट से शाम को 05 बजकर 07 मिनट तक।
शाम को मुहूर्त: शाम को 08 बजकर 07 मिनट से रात 09 बजकर 32 मिनट तक।
गणेश विसर्जन पूजा विधि
अनंत चतुर्दशी के दिन सुबह स्नान आदि के बाद गणपति की नियमित पूजा करें और उनको मोदक का भोग लगाएं। अब गणेश विसर्जन के लिए निर्धारित समय के अनुसार मूर्ति विसर्जन की पूजा करें। एक चौड़े पाट को गंगाजल से साफ कर उस पर स्वास्तिक बनाएं और उस पर लाल या पीले वस्त्र बिछा दें। फिर उसे पुष्प आदि से सजा दें। उसके चार कोनों पर चार सुपारी रख दें। फिर गणेश जी की मूर्ति को पूजा स्थान से उठाकर उस पाट पर रख दें। अब पुष्प, अक्षत्, फल, वस्त्र और मोदक गणपति को चढ़ाएं। दक्षिणा के तौर पर कुछ रुपये रखें। इसके बाद पंच मेवा, चावल, गेहूं, कुछ रुपये आदि की एक पोटली बनाएं और एक डंडे में बांध दें। फिर गणपति बप्पा का जयकारा लगाकर उनको वाहन पर विराजमान कराएं। शांतिपूर्वक नदी, तालाब के किनारे जाएं और गणेश प्रतिमा को वाहन से उतार कर नदी या तालाब के किनारे रख दें।
अब वहां पर गणेश जी की आरती करें। फिर इन 10 दिनों के दौरान पूजा और उनकी सेवा में कोई कमी रह गई हो तो विघ्नहर्ता से क्षमा प्रार्थना करें। फिर उनको अगले वर्ष भी आने का निमंत्रण दें। अंत में अपनी मनोकामनाएं उनके समक्ष प्रकट कर दें और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए बप्पा से आशीर्वाद लें। अब सम्मानपूर्वक गणेश जी की प्रतिमा को उठाकर जल में विसर्जित कर दें।