Lord Ganesh Puja: बुधवार के दिन इस चमत्कारी स्तोत्र का करें पाठ, सुख और समृद्धि का मिलेगा आशीर्वाद
बुधवार के दिन गणेश जी की पूजा और व्रत करने का विधान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान गणेश जी की पूजा करने से घर में सुख समृद्धि और खुशहाली का आगमन होता है। गणेश जी साधक से प्रसन्न होने पर उसे धन-दौलत और आरोग्य का आशीर्वाद देते हैं। बुधवार के दिन श्री गणेश पंच रत्न स्तोत्र का पाठ करना कल्याणकारी होता है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Lord Ganesh Puja: हिंदू धर्म में सप्ताह के सभी दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित है। ऐसे में बुधवार के दिन जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण और गणेश जी की पूजा और व्रत करने का विधान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान गणेश की पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली का आगमन होता है। गणेश जी साधक से प्रसन्न होने पर उसे धन-दौलत और आरोग्य का आशीर्वाद देते हैं। अगर आप बुधवार के दिन भगवान गणेश जी की पूजा के दौरान श्री गणेश पंच रत्न स्तोत्र का पाठ करते हैं, तो इससे आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी और जीवन में खुशियां प्राप्त होंगी। श्री गणेश पंच रत्न स्तोत्र इस प्रकार है-
'श्री गणेश पंच रत्न स्तोत्र'
''मुदाकरात्तमोदकं सदा विमुक्तिसाधकं
कलाधरावतंसकं विलासिलोकरक्षकम् ।
अनायकैकनायकं विनाशितेभदैत्यकं
नताशुभाशुनाशकं नमामि तं विनायकम् ॥॥
नतेतरातिभीकरं नवोदितार्कभास्वरं
नमत्सुरारिनिर्जरं नताधिकापदुद्धरम् ।
सुरेश्वरं निधीश्वरं गजेश्वरं गणेश्वरं
महेश्वरं तमाश्रये परात्परं निरन्तरम् ॥॥
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समस्तलोकशंकरं निरस्तदैत्यकुञ्जरं
दरेतरोदरं वरं वरेभवक्त्रमक्षरम् ।
कृपाकरं क्षमाकरं मुदाकरं यशस्करं
मनस्करं नमस्कृतां नमस्करोमि भास्वरम् ॥॥
अकिंचनार्तिमार्जनं चिरन्तनोक्तिभाजनं
पुरारिपूर्वनन्दनं सुरारिगर्वचर्वणम् ।
प्रपञ्चनाशभीषणं धनंजयादिभूषणम्
कपोलदानवारणं भजे पुराणवारणम् ॥॥
नितान्तकान्तदन्तकान्तिमन्तकान्तकात्मजं
अचिन्त्यरूपमन्तहीनमन्तरायकृन्तनम् ।
हृदन्तरे निरन्तरं वसन्तमेव योगिनां
तमेकदन्तमेव तं विचिन्तयामि सन्ततम् ॥॥
महागणेशपञ्चरत्नमादरेण योऽन्वहं
प्रजल्पति प्रभातके हृदि स्मरन् गणेश्वरम् ।
अरोगतामदोषतां सुसाहितीं सुपुत्रतां
समाहितायुरष्टभूतिमभ्युपैति सोऽचिरात्'' ॥॥
'श्री गणेश स्तुति'
''ॐ श्री गणेशाय नम:।
ॐ गं गणपतये नम:।
ॐ वक्रतुण्डाय नम:।
ॐ हीं श्रीं क्लीं गौं ग: श्रीन्महागणधिपतये नम:।
ॐ विघ्नेश्वराय नम:।
गजाननं भूतगणादि सेवितं, कपित्थ जम्बूफलसार भक्षितम्।
उमासुतं शोक विनाशकारणं, नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम्''।
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