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    Ganesh Chaturthi 2025: सुखकर्ता दुखहर्ता...इस आरती के बिना अधूरी है भगवान गणेश की पूजा, पूरी होगी मनचाही मुराद

    भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी पर रवि और सर्वार्थ सिद्धि योग समेत कई मंगलकारी संयोग बन रहे हैं। इन योग में भगवान गणेश की पूजा करने से सभी शुभ कामों में सिद्धि और सफलता मिलेगी। साथ ही आरोग्य जीवन का वरदान मिलेगा। भगवान गणेश की पूजा करने से सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है।

    By Pravin Kumar Edited By: Pravin Kumar Updated: Tue, 26 Aug 2025 09:30 PM (IST)
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    Lord Ganesh: भगवान गणेश को कैसे प्रसन्न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। बुधवार 27 अगस्त से गणेश महोत्सव (Ganesh Chaturthi 2025) की शुरुआत हो रही है। यह पर्व हर साल भाद्रपद महीने में मनाया जाता है। दस दिवसीय गणेश महोत्सव का समापन अनंत चतुर्दशी के दिन होता है। इस दौरान प्रथम दिवस से भगवान गणेश की भक्ति भाव से पूजा की जाती है।

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    गणेश पुराण में वर्णित है कि भगवान गणेश की पूजा करने से साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त हर परेशानी से मुक्ति मिलती है। हालांकि, भगवान गणेश की पूजा सुखकर्ता दुखहर्ता... आरती के बिना अधूरी मानी जाती है। इसके लिए पूजा का समापन सुखकर्ता दुखहर्ता आरती से की जाती है।

    अगर आप भी भगवान गणेश को प्रसन्न कर उनकी कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो गणेश चतुर्थी के दिन भक्ति भाव से गणपति बप्पा की पूजा करें। वहीं, पूजा के समापन के समय ये आरती जरूर करें।

    गणेश जी की आरती

    सुखकर्ता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची

    नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची

    सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची

    कंठी झलके माल मुकताफळांची

    जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति

    दर्शनमात्रे मन कामना पूर्ति

    जय देव जय देव

    रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमरा

    चंदनाची उटी कुमकुम केशरा

    हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा

    रुन्झुनती नूपुरे चरनी घागरिया

    जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति

    दर्शनमात्रे मन कामना पूर्ति

    जय देव जय देव

    लम्बोदर पीताम्बर फनिवर वंदना

    सरल सोंड वक्रतुंडा त्रिनयना

    दास रामाचा वाट पाहे सदना

    संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवर वंदना

    जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति

    दर्शनमात्रे मन कामना पूर्ति

    जय देव जय देव

    शेंदुर लाल चढायो अच्छा गजमुख को

    दोन्दिल लाल बिराजे सूत गौरिहर को

    हाथ लिए गुड लड्डू साई सुरवर को

    महिमा कहे ना जाय लागत हूँ पद को

    जय जय जय जय जय

    जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता

    धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता

    जय देव जय देव

    अष्ट सिधि दासी संकट को बैरी

    विघन विनाशन मंगल मूरत अधिकारी

    कोटि सूरज प्रकाश ऐसे छबी तेरी

    गंडस्थल मद्मस्तक झूल शशि बहरी

    जय जय जय जय जय

    जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता

    धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता

    जय देव जय देव

    भावभगत से कोई शरणागत आवे

    संतति संपत्ति सबही भरपूर पावे

    ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे

    गोसावीनंदन निशिदिन गुण गावे

    जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता

    धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता

    जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता

    धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता जय देव जय देव।

    गणेश जी की आरती

    जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

    माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

    एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।

    माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥

    जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

    माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

    पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।

    लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा॥

    जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

    माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

    अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।

    बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥

    जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

    माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

    'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।

    माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

    जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

    माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

    दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।

    कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी॥

    जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

    माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

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