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    Ganesh Chaturthi 2023: कब है गणेश चतुर्थी व्रत? जानिए सही तिथि, पूजा मुहूर्त और महत्व

    By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo Mishra
    Updated: Mon, 11 Sep 2023 03:29 PM (IST)

    Ganesh Chaturthi 2023 प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन गणेश चतुर्थी पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस विशेष दिन पर भगवान श्री गणेश की उपासना का विधान है। इस दिन पूजा-पाठ करने से साधक को सुख एवं समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन को विशेष रूप से भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।

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    Ganesh Chaturthi 2023 जानिए कब मनाया जाएगा गणेश चतुर्थी पर्व?

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क । Ganesh Chaturthi 2023 Date and Shubh Muhurat: सनातन धर्म में भगवान गणेश की उपासना का विशेष महत्व है। भगवान गणेश की उपासना प्रथम देवता के रूप में की जाती है। बता दें कि प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन भगवान गणेश का जन्मोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन गणपति बप्पा को गाजे-बाजे के साथ भगवान गणेश को घर लाया है और विधिवत उपासना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की उपासना करने से साधक को सुख, समृद्धि, बल एवं बुद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइए जानते हैं, वर्ष 2023 में कब मनाया जाएगा गणेश चतुर्थी पर्व?

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    गणेश चतुर्थी 2023 तिथि

    हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 18 सितंबर दोपहर 02:09 से 19 सितंबर दोपहर 03:13 तक रहेगी। ऐसे में गणेश चतुर्थी पर्व 19 सितंबर 2023, मंगलवार के दिन धूमधाम से मनाया जाएगा। इस दिन पूजा मुहूर्त सुबह 11:01 से दोपहर 01:26 तक रहेगा।

    गणेश विसर्जन 2023 कब है

    वैदिक पंचांग के अनुसार, अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति बप्पा को विदा किया जाता है। पंचांग में बताया गया है कि गणेश चतुर्थी पर्व का समापन इस वर्ष 28 सितंबर 2023, गुरुवार के दिन होगा और इसी दिन देश भर में गणेश विसर्जन किया जाएगा।

    गणेश चतुर्थी पूजा विधान

    शास्त्रों के अनुसार, गणेश चतुर्थी पर्व के दिन साधक सुबह स्नान-ध्यान करें और पूजा स्थल की अच्छे से साफ-सफाई करें। इसके बाद भगवान गणेश की विधिवत उपासना करें। शुभ मुहूर्त के समय ईशान कोण में एक साफ चौकी पर नया वस्त्र बिचकर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें और नितदिन सुबह व संध्या काल में विधिवत उपासना करें। पूजा के बाद आरती अवश्य करें।

    डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहे।