Ganesh Chaturthi 2023: गणेश चतुर्थी पर करें इन चमत्कारी मंत्रों का जाप, सभी संकटों से अवश्य मिलेगी निजात
Ganesh Chaturthi 2023 रिद्धि सिद्धि के दाता गणपति जी की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही घर में सुख समृद्धि और खुशहाली का आगमन होता है। अगर आप भी गणपति बप्पा का आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो गणेश चतुर्थी के दिन पूजा के समय इन मंत्रों का जाप अवश्य करें।

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क । Ganesh Chaturthi 2023: हर वर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। तदनुसार, इस वर्ष 19 सितंबर को भगवान गणेश का जनमोत्स्व मनाया जाएगा। यह पर्व देश भर में धूमधाम से मनाया जाता है। खासकर, महाराष्ट्र और गुजरात में गणपति पूजा के दौरान उत्सव जैसा माहौल रहता है। इस दिन साधक अपने घर में भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित कर विधि-विधान से लंबोदर की पूजा-उपासना करते हैं। साथ ही विशेष कार्य में सिद्धि प्राप्त करने हेतु गणपति बप्पा के निमित्त व्रत-उपवास भी रखते हैं। अत: साधक श्रद्धा भाव से बप्पा की पूजा-आराधना करते हैं।
रिद्धि सिद्धि के दाता गणपति जी की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली का आगमन होता है। अगर आप भी महादेव के पुत्र गणपति बप्पा का आशीर्वाद पाना चाहते हैं, तो भाद्रपद माह के चतुर्थी तिथि पर पूजा के समय इन मंत्रों का जाप अवश्य करें। आइए जानते हैं-
भगवान गणेश के मंत्र
1.
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
2.
ॐ ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड, गणपति गुरु गणेश।
ग्लौम गणपति, ऋद्धि पति, सिद्धि पति करो दूर क्लेश ।।
3.
त्रयीमयायाखिलबुद्धिदात्रे बुद्धिप्रदीपाय सुराधिपाय।
नित्याय सत्याय च नित्यबुद्धि नित्यं निरीहाय नमोस्तु नित्यम्।
4.
गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:।
नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक :।।
धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:।
गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम।।'
5.
महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
6.
ॐ श्रीं गं सौभाग्य गणपतये।
वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नम:।।
7.
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गण्पत्ये वर वरदे नमः
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात”
8.
गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः ।
द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः ॥
विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः ।
द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत् ॥
विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत् क्वचित् ।
9.
दन्ताभये चक्रवरौ दधानं, कराग्रगं स्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृताब्जयालिङ्गितमाब्धि पुत्र्या-लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे॥
10.
ॐ गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा ॥
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