Ganesh Chaturthi 2022: कर्ज से छुटकारा पाने के लिए गणेश चतुर्थी पर करें इस स्तुति का पाठ
Ganesh Chaturthi 2022 सच्चे मन और पूरे विधि-विधान के साथ अगर व्यक्ति पूजा करता है तो उस पर गणेश जी की कृपा बनी रहती है। अगर आपके पास वक्त नहीं तो आप गणपति जी का ध्यान कर कहीं पर भी उनकी इस स्तुति का पाठ कर लें।

नई दिल्ली, Ganesh Chaturthi 2022: गणेश जी की पूजा सभी देवताओं में सबसे पहले की जाती है। लंबोदर, गजानन, विघ्नहर्ता, गणपति जैसे कई नामों से पूजा जाता है। विघ्नहर्ता इसलिए कहा जाता है क्योंकि गणेश जी के ध्यान मात्र से कई तरह के विघ्न (बाधाएं) दूर हो जाती हैं। सच्चे मन और पूरे विधि-विधान के साथ अगर व्यक्ति पूजा करता है तो उस पर गणेश जी की कृपा बनी रहती है।
गणेश जी की पूजा करने के कई तरीके हैं जिससे गणेश जी प्रसन्न हो जाते हैं। पूजा के दौरान अग भगवान गणेश की आरती, चालीसा, स्तुति मंत्र आदि गाए जाएं तो गणेश जी को प्रसन्न किया जा सकता है। नारद पुराण में संकटनाशन गणेश स्तोत्र लिखा गया है। मान्यता है कि अगर इस स्त्रोत का पाठ किया जाए तो व्यक्ति के जीवन की हर परेशानी दूर हो जाती है। वहीं, अगर गणेश जी के स्तुति मंत्र का जाप किया जाए तो भी गणेश जी प्रसन्न हो जाते हैं। ऐसे में जागरण अध्यात्म के इस लेख में हम आपको भगवान श्री गणेश का स्तुति मंत्र बता रहे हैं।
भगवान गणपति की स्तुति किसी भी समय की जा सकती हैं, लेकिन इसे करने से पूर्व गणपति जी के समक्ष एक घी का दीपक जला दें और वहीं उनका स्मरण करते हुए स्तुति करें।
गणपति स्तुति
ॐ अस्य श्रीऋणविमोचनमहागणपति-स्तोत्रमन्त्रस्य
शुक्राचार्य ऋषिः ऋणविमोचनमहागणपतिर्देवता
अनुष्टुप् छन्दः ऋणविमोचनमहागणपतिप्रीत्यर्थे जपे विनियोगः।
॥ स्तोत्र पाठ ॥
ॐ स्मरामि देवदेवेशं वक्रतुण्डं महाबलम्।
षडक्षरं कृपासिन्धुं नमामि ऋणमुक्तये॥१॥
महागणपतिं वन्दे महासेतुं महाबलम्।
एकमेवाद्वितीयं तु नमामि ऋणमुक्तये॥२॥
एकाक्षरं त्वेकदन्तमेकं ब्रह्म सनातनम्।
महाविघ्नहरं देवं नमामि ऋणमुक्तये॥३॥
शुक्लाम्बरं शुक्लवर्णं शुक्लगन्धानुलेपनम्।
सर्वशुक्लमयं देवं नमामि ऋणमुक्तये॥४॥
रक्ताम्बरं रक्तवर्णं रक्तगन्धानुलेपनम्।
रक्तपुष्पैः पूज्यमानं नमामि ऋणमुक्तये॥५॥
कृष्णाम्बरं कृष्णवर्णं कृष्णगन्धानुलेपनम्।
कृष्णयज्ञोपवीतं च नमामि ऋणमुक्तये॥६॥
पीताम्बरं पीतवर्ण पीतगन्धानुलेपनम्।
पीतपुष्पैः पूज्यमानं नमामि ऋणमुक्तये॥७॥
सर्वात्मकं सर्ववर्णं सर्वगन्धानुलेपनम्।।
सर्वपुष्पैः पूज्यमानं नमामि ऋणमुक्तये॥८॥
एतद् ऋणहरं स्तोत्रं त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः।
षण्मासाभ्यन्तरे तस्य ऋणच्छेदो न संशयः॥९॥
सहस्रदशकं कृत्वा ऋणमुक्तो धनी भवेत्॥
॥ इति रुद्रयामले ऋणमुक्ति श्री गणेशस्तोत्रम् सम्पूर्णम् ॥
मंगलमुर्ती मोरया||
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