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Ganesh Chaturthi 2019 Puja Vidhi and Muhurat: Vinayak Chaturthi पर स्वयं कर सकते हैं गणपति की स्थापना, यहां है संपूर्ण विधि

Ganesh Chaturthi 2019 Puja Vidhi and Muhurat हरतालिका तीज एवं गणपति उत्सव का आज अद्भुत संयोग शुभ फलदायक है। देशभर में आज गणेश चतुर्थी मनाई जा रही है।

By kartikey.tiwariEdited By: Published: Fri, 30 Aug 2019 12:59 PM (IST)Updated: Tue, 03 Sep 2019 02:52 PM (IST)
Ganesh Chaturthi 2019 Puja Vidhi and Muhurat: Vinayak Chaturthi पर स्वयं कर सकते हैं गणपति की स्थापना, यहां है संपूर्ण विधि
Ganesh Chaturthi 2019 Puja Vidhi and Muhurat: Vinayak Chaturthi पर स्वयं कर सकते हैं गणपति की स्थापना, यहां है संपूर्ण विधि

Ganesh Chaturthi 2019 Puja Vidhi and Muhurat: हरतालिका तीज एवं गणपति उत्सव का आज अद्भुत संयोग शुभ फलदायक है। देशभर में आज गणेश चतुर्थी मनाई जा रही है। गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी के शाम को गणपति बप्पा की विधि विधान से पूजा होती है। पूजा में गणेश जी को धूप, दीप, नैवेद्य, दूर्वा, नीलकंठी, दूर्वा और मोदक चढ़ाने का विधान है। इससे गणपति बप्पा प्रसन्न होकर भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

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गणेशोत्सव के लिए आपने भगवान गणेश की मूर्ति खरीद ली है तो पूजा समाग्री आदि का प्रबंध भी कर लें। बप्पा को घर लाकर पूजा स्थल पर रख दें। इसके पश्चात चतुर्थी के दिन स्नान आदि से निवृत्त होकर आप स्वयं ही शुभ मुहूर्त में बप्पा की स्थापना कर सकते हैं।

गणपति स्थापना समय

चतुर्थी के दिन दोपहर में भगवान गणेश का जन्म हुआ था, इसलिए आप दोपहर में उनकी मूर्ति की स्थापना कर सकते हैं। चतुर्थी के दिन दोपहर में 01:07 बजे 03:28 बजे के बीच मूर्ति स्थापना का शुभ समय है। इसके अलावा उस दिन ही शाम को 5:23 से 09:42 तक सर्वार्थ योग में भी गणपति स्थापना कर सकते हैं। सर्वार्थ योग में गणपति स्थापना भी उत्तम है।

गणेश मूर्ति स्थापना एवं पूजा विधि

सर्वप्रथम गणपति की इस मन्त्र से हाथ में अक्षत लेकर आवाहन-स्थापन करें-

“अस्य प्राण प्रतिषठन्तु अस्य प्राणा: क्षरंतु च। श्री गणपते त्वम सुप्रतिष्ठ वरदे भवेताम।।

इसके बाद पंचामृत तथा जल स्नान कराकर गणपति को वस्त्रादि से सुसज्जित करें। इसके पश्चात रोली, चन्दन, इत्र और आभूषण से बप्पा को सुशोभित करें। इसके बाद दूर्वा तथा विविध प्रकार के सुन्दर पुष्पों से उनका श्रृंगार करें और माथे पर सिंदूर का लेपन करें।

फिर गणपित को यज्ञोपवीत धारण कराकर मोदक, लड्डू एवं सामग्री का भोग लगाएं और फल समर्पित करें। इसके पश्चात धूप, दीप आदि दिखाकर आरती करे। इस दौरान गणपति आरती -ॐ जय गणपति देवा.... का गान अवश्य करें।

आरती के बाद हाथ में फूल लेकर मन्त्र के साथ पुष्पांजली समर्पित करें-

नाना सुगन्धी पुष्पाणि यथा कलोद्भवानी च।

पुष्पांजली: मया दत्तो गृहाण तु गणेश्वर:।।

ॐ गं गणपतये नम:।। ॐ वरद मूर्तये नम:।। ॐसर्व विघ्ननाशिने नम:।। ॐ श्री शिवसुताय नम:।।

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गणपति क्षमा-प्रार्थना मन्त्र

गणेश जी के पूजन के बाद परिक्रमा करके क्षमा-प्रार्थना करने से श्री गणेश जी की असीम कृपा प्राप्त होती है।

गणेशपूजने कर्म यत् न्यूनमधिकम कृतम।

तेन सर्वेण सर्वात्मा प्रसन्न अस्तु गणपति सदा मम।।

अन्त में हाथ में जल लेकर सम्पूर्ण पूजन को श्रद्धा-भाव से श्री गणेश जी को समर्पित कर दें-

अनया पूजया गणपति चरणअर्पितम देव! त्वम प्रीयेताम नमम।।

— ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट


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