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    Ganadhipa Sankashti Chaturthi 2024: इस विधि से करें गणपति स्तोत्र का पाठ, खुशियों से भर जाएगा जीवन

    हर साल मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का त्योहार बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस बार गणाधिप संकष्टी चतुर्थी (Ganadhipa Sankashti Chaturthi 2024) 18 नवंबर को है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश की विशेष उपासना और व्रत करने से जातक को बुद्धि विद्या और ज्ञान की प्राप्ति होती है। साथ ही पूजा सफल होती है।

    By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Sat, 16 Nov 2024 04:45 PM (IST)
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    Lord Ganesh: जरूर करें इस गणपति स्तोत्र का पाठ

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में महादेव के पुत्र भगवान गणेश जी को प्रथम पूज्य माना गया है। हर महीने की चतुर्थी तिथि पर गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना करने का विधान है। मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को गणाधिप संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन गणपति बप्पा की पूजा करने से सभी संकट दूर होते हैं। माना जाता है कि इस दिन श्री गणपति स्तोत्र का पाठ करने से जातक के रुके हुए काम पूरे होते हैं। साथ ही जीवन खुशहाल होता है।

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    इस विधि से करें श्री गणपति स्तोत्र का पाठ

    • मंदिर की सफाई करें।
    • इसके बाद भगवान गणेश की विधिपूर्वक उपासना करें।
    • दीपक जलाकर आरती करें। मोदक, फल और मिठाई का भोग लगाएं।
    • इसके बाद श्री गणपति स्तोत्र का पाठ करें।
    • जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति के लिए गणपति बप्पा से कामना करें।
    • लोगों में प्रसाद का वितरण करें।

    ॥ श्रीगणपति स्तोत्रम् ॥

    जेतुं यस्त्रिपुरं हरेणहरिणा व्याजाद्बलिं बध्नता

    स्रष्टुं वारिभवोद्भवेनभुवनं शेषेण धर्तुं धराम्।

    पार्वत्या महिषासुरप्रमथनेसिद्धाधिपैः सिद्धये

    ध्यातः पञ्चशरेण विश्वजितयेपायात्स नागाननः॥

    विघ्नध्वान्तनिवारणैकतरणि-र्विघ्नाटवीहव्यवाड्

    विघ्नव्यालकुलाभिमानगरुडोविघ्नेभपञ्चाननः।

    विघ्नोत्तुङ्गगिरिप्रभेदन-पविर्विघ्नाम्बुधेर्वाडवो

    विघ्नाघौधघनप्रचण्डपवनोविघ्नेश्वरः पातु नः॥

    खर्वं स्थूलतनुं गजेन्द्रवदनंलम्बोदरं सुन्दरं

    प्रस्यन्दन्मदगन्धलुब्धम-धुपव्यालोलगण्डस्थलम्।

    दन्ताघातविदारितारिरुधिरैःसिन्दूरशोभाकरं

    वन्दे शैलसुतासुतं गणपतिंसिद्धिप्रदं कामदम्॥

    गजाननाय महसेप्रत्यूहतिमिरच्छिदे।

    अपारकरुणा-पूरतरङ्गितदृशे नमः॥

    अगजाननपद्मार्कंगजाननमहर्निशम्।

    अनेकदन्तं भक्तानामेक-दन्तमुपास्महे॥

    श्वेताङ्गं श्वेतवस्त्रं सितकु-सुमगणैः पूजितं श्वेतगन्धैः

    क्षीराब्धौ रत्नदीपैः सुरनर-तिलकं रत्नसिंहासनस्थम्।

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    दोर्भिः पाशाङ्कुशाब्जा-भयवरमनसं चन्द्रमौलिं त्रिनेत्रं

    ध्यायेच्छान्त्यर्थमीशं गणपति-ममलं श्रीसमेतं प्रसन्नम्॥

    आवाहये तं गणराजदेवंरक्तोत्पलाभासमशेषवन्द्यम्।

    विघ्नान्तकं विघ्नहरं गणेशंभजामि रौद्रं सहितं च सिद्धया॥

    यं ब्रह्म वेदान्तविदो वदन्तिपरं प्रधानं पुरुषं तथान्ये।

    विश्वोद्गतेः कारणमीश्वरं वातस्मै नमो विघ्नविनाशनाय॥

    विघ्नेश वीर्याणि विचित्रकाणिवन्दीजनैर्मागधकैः स्मृतानि।

    श्रुत्वा समुत्तिष्ठ गजानन त्वंब्राह्मे जगन्मङ्गलकं कुरुष्व॥

    गणेश हेरम्ब गजाननेतिमहोदर स्वानुभवप्रकाशिन्।

    वरिष्ठ सिद्धिप्रिय बुद्धिनाथवदन्त एवं त्यजत प्रभीतीः॥

    अनेकविघ्नान्तक वक्रतुण्डस्वसंज्ञवासिंश्च चतुर्भुजेति।

    कवीश देवान्तकनाशकारिन्वदन्त एवं त्यजत प्रभीतीः॥

    अनन्तचिद्रूपमयं गणेशंह्यभेदभेदादिविहीनमाद्यम्।

    मार्गशीर्ष माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 18 नवंबर, शाम 06 बजकर 55 मिनट से शुरू हो रही है, जो अगले दिन यानी 19 नवंबर दोपहर को शाम 05 बजकर 28 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का व्रत 18 नवंबर को किया जाएगा। इस दिन शाम के समय चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। ऐसे में चन्द्रोदय शाम 07 बजकर 34 मिनट पर होगा।

    हृदि प्रकाशस्य धरं स्वधीस्थंतमेकदन्तं शरणम् व्रजामः॥

    विश्वादिभूतं हृदि योगिनां वैप्रत्यक्षरूपेण विभान्तमेकम्।

    सदा निरालम्बसमाधिगम्यंतमेकदन्तं शरणम् व्रजामः॥

    यदीयवीर्येण समर्थभूता मायातया संरचितं च विश्वम्।

    नागात्मकं ह्यात्मतया प्रतीतंतमेकदन्तं शरणम् व्रजामः॥

    सर्वान्तरे संस्थितमेकमूढंयदाज्ञया सर्वमिदं विभाति।

    अनन्तरूपं हृदि बोधकं वैतमेकदन्तं शरणम् व्रजामः॥

    यं योगिनो योगबलेन साध्यंकुर्वन्ति तं कः स्तवनेन नौति।

    अतः प्रणामेन सुसिद्धिदोऽस्तुतमेकदन्तं शरणम् व्रजामः॥

    देवेन्द्रमौलिमन्दार-मकरन्दकणारुणाः।

    विघ्नान् हरन्तुहेरम्बचरणाम्बुजरेणवः॥

    एकदन्तं महाकायंलम्बोदरगजाननम्।

    विघ्ननाशकरं देवंहेरम्बं प्रणमाम्यहम्॥

    यदक्षरं पदं भ्रष्टंमात्राहीनं च यद्भवेत्।

    तत्सर्वं क्षम्यतां देवप्रसीद परमेश्वर॥

    ॥ इति श्रीगणपतिस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।