Dussehra के दिन भगवान श्रीराम को ऐसे करें प्रसन्न, जीवन में होगा खुशियों का आगमन
हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को विजयादशमी (Vijayadashami 2024) के पर्व को मनाया जाता है। इस त्योहार को दशहरा के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन प्रभु राम (Ram Ji Ki Aarti) ने लंकापति रावण का अंत किया था। दशहरा को अधर्म पर धर्म की जीत के रूप में मनाया जाता है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पंचांग के अनुसार, आज यानी 12 अक्टूबर को दशहरा का त्योहार मनाया जा रहा है। इस शुभ अवसर पर भगवान श्रीराम की पूजा-अर्चना का विधान है। साथ ही गरीब लोगों में दान करना शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीराम की उपासना करने से जातक को सभी तरह के संकटों से छुटकारा मिलता है। यदि आप भगवान श्रीराम का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं, तो दशहरा के दिन पूजा के दौरान राम जी की आरती जरूर करें। इससे जीवन में खुशियों का आगमन होता है।
1. आरती (RamJi Aarti)
आरती कीजै रामचंद्र जी की ।
हरि हरि दुष्ट दलन सीतापति जी की ।।
पहली आरती पुष्पन की माला ।
काली नागनाथ लाए गोपाला ।।
दूसरी आरती देवकी नंदन ।
भक्त उभारण कंस निकंदन ।।
तीसरी आरती त्रिभुवन मन मोहे ।
रतन सिंहासन सीताराम जी सोहे ।।
चौथी आरती चहुं युग पूजा ।
देव निरंजन स्वामी और न दूजा ।।
पांचवी आरती राम को भावे ।
राम जी का यश नामदेव जी गावे।।
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2. आरती (Ram Ji Ki Aarti)
आरती कीजै श्री रघुवर जी की,
सत् चित् आनन्द शिव सुन्दर की।
दशरथ तनय कौशल्या नन्दन,
सुर मुनि रक्षक दैत्य निकन्दन।
अनुगत भक्त भक्त उर चन्दन,
मर्यादा पुरुषोतम वर की।
आरती कीजै श्री रघुवर जी की…
निर्गुण सगुण अनूप रूप निधि,
सकल लोक वन्दित विभिन्न विधि।
हरण शोक-भय दायक नव निधि,
माया रहित दिव्य नर वर की।
आरती कीजै श्री रघुवर जी की…
जानकी पति सुर अधिपति जगपति,
अखिल लोक पालक त्रिलोक गति।
विश्व वन्द्य अवन्ह अमित गति,
एक मात्र गति सचराचर की।
आरती कीजै श्री रघुवर जी की…
शरणागत वत्सल व्रतधारी,
भक्त कल्प तरुवर असुरारी।
नाम लेत जग पावनकारी,
वानर सखा दीन दुख हर की।
आरती कीजै श्री रघुवर जी की…
3. आरती
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन,
हरण भवभय दारुणम्।
नव कंज लोचन, कंज मुख
कर कंज पद कंजारुणम्॥
श्री रामचन्द्र कृपालु...
कन्दर्प अगणित अमित छवि,
नव नील नीरद सुन्दरम्।
पट पीत मानहुं तड़ित रूचि-शुचि
नौमि जनक सुतावरम्॥
श्री रामचन्द्र कृपालु...
भजु दीनबंधु दिनेश दानव
दैत्य वंश निकन्दनम्।
रघुनन्द आनन्द कन्द कौशल
चन्द्र दशरथ नन्द्नम्॥
श्री रामचन्द्र कृपालु...
सिर मुकुट कुंडल तिलक चारू
उदारु अंग विभूषणम्।
आजानुभुज शर चाप-धर,
संग्राम जित खरदूषणम्॥
श्री रामचन्द्र कृपालु...
इति वदति तुलसीदास,
शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।
मम ह्रदय कंज निवास कुरु,
कामादि खल दल गंजनम्॥
श्री रामचन्द्र कृपालु...
मन जाहि राचेऊ मिलहि सो वर
सहज सुन्दर सांवरो।
करुणा निधान सुजान शील
सनेह जानत रावरो॥
श्री रामचन्द्र कृपालु...
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