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    Durga Puja 2020: दुर्गा पूजा का भी आरंभ, जानें क्या है सिंदूर खेला और दुर्गा बलिदान का महत्व

    By Kartikey TiwariEdited By:
    Updated: Sat, 24 Oct 2020 07:56 AM (IST)

    Durga Puja 2020 Date बंगाल बिहार समेत देश के कई हिस्सों में दुर्गा पूजा का प्रारंभ हो गया है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की षष् ...और पढ़ें

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    नवरात्रि के समय में ही दुर्गा पूजा का उत्सव भी मनाया जाता है।

    Durga Puja 2020 Date: बंगाल, बिहार समेत देश के कई हिस्सों में दुर्गा पूजा का प्रारंभ हो गया है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, शारदीय नवरात्रि के समय में ही दुर्गा पूजा का उत्सव भी मनाया जाता है। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि से दुर्गा पूजा का शुभारंभ होता है और दशमी के दिन समापन होता है। शारदीय नवरात्रि की षष्ठी से दुर्गा पूजा का आगाज होता है। दुर्गा पूजा 5 दिन षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी और दशमी तक मनाया जाता है। दुर्गा पूजा खासतौर पर बिहार, पश्चिम बंगाल, ओड़िशा, त्रिपुरा, पूर्वी उत्तर प्रदेश समेत देश के अन्य भागों में मनाया जाता है। नवरात्रि के समय में मां दुर्गा के ही नवस्वरुपों की पूजा की जाती है। उसी में षष्ठी तिथि से दुर्गा पूजा के प्रारंभ से मां दुर्गा के साथ माता लक्ष्मी, माता सरस्वती, भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाती है। दुर्गा पूजा के प्रथम दिन मां की मूर्ति स्थापित की जाती है, प्राण प्रतिष्ठा होती है और 5वें दिन उनका विसर्जन किया जाता है।

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    दुर्गा पूजा 2020 की तिथियां

    21 अक्टूबर: पहला दिन: मां दुर्गा को आमंत्रण एवं अधिवास, पंचमी तिथि

    22 अक्टूबर: दूसरा दिन: नवपत्रिका पूजा, षष्ठी तिथि।

    23 अक्टूबर: तीसरा दिन: सप्तमी तिथि।

    24 अक्टूबर: चौथा दिन: दुर्गा अष्टमी, कन्या पूजा, सन्धि पूजा तथा महानवमी।

    25 अक्टूबर: पांचवा दिन: बंगाल महानवमी, दुर्गा बलिदान, नवमी हवन, विजयदशमी या दशहरा।

    26 अक्टूबर: छठा दिन: दुर्गा विसर्जन, बंगाल विजयदशमी, सिन्दूर उत्सव।

    दुर्गा बलिदान

    दुर्गा बलिदान का तात्पर्य दुर्गा पूजा के समय दी जाने वाली पशु बलि से है। यह हमेशा नवरात्रि की नवमी तिथि को दी जाती है। बलिदान के लिए अपराह्न का समय अच्छा माना गया है। हालांकि अब लोग पशु बलि की जगह सब्जियों के साथ सांकेतिक बलि देते हैं।

    सिंदूर खेला या सिंदूर उत्सव

    जिस दिन मां दुर्गा को विदा किया जाता है यानी जिस दिन प्रतिमा विसर्जन के लिए ले जाया जाता है, उस दिन बंगाल में सिंदूर खेला या सिंदूर उत्सव होता है। यह विदाई का उत्सव होता है। इस दिन सुहागन महिलाएं पान के पत्ते से मां दुर्गा को सिंदूर अर्पित करती हैं। उसके बाद एक दूसरे को सिंदूर लगाती हैं और उत्सव मनाती हैं। एक दूसरे के सुहाग की लंबी आयु की शुभकामनाएं भी देती हैं। ऐसी भी मान्यता है कि मां दुर्गा 9 दिन तक मायके में रहने के बाद ससुराल जा रही हैं, इस अवसर पर सिंदूर उत्सव मनाया जाता है।