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    Durga Maa Mantra: दुर्गा मां को प्रसन्न करने के लिए करें इन 4 मंत्रों का जाप

    By Shilpa SrivastavaEdited By:
    Updated: Sat, 30 Jan 2021 11:13 AM (IST)

    Durga Maa Mantra आज शुक्रवार है। आज का दिन दुर्गा मां को भी समर्पित होता है। मान्यता है कि अगर इस दिन मां दुर्गा के मंत्रों का जाप सच्चे मन से किया जाए तो व्यक्ति को विशेष फल की प्राप्ति होती है। यह अत्यंत कल्याणकारी होता है।

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    Durga Maa Mantra: शुक्रवार के दिन जरूर करें दुर्गा मां के इन मंत्रों का जाप, बाधारहित होता है जीवन

    Durga Maa Mantra: आज शुक्रवार है। आज का दिन दुर्गा मां को भी समर्पित होता है। मान्यता है कि अगर इस दिन मां दुर्गा के मंत्रों का जाप सच्चे मन से किया जाए तो व्यक्ति को विशेष फल की प्राप्ति होती है। यह अत्यंत कल्याणकारी होता है। जागरण अध्यात्म के इस लेख में हम आपको दुर्गा माता के 4 मंत्रों के बारे में बता रहे हैं जिनके उच्चारण से जीवन भय एवं बाधारहित हो जाता है। साथ ही समस्त सुखों की प्राप्ति होती है। इस दिन पूजा करते समय मां दुर्गा के स्वरूपों का स्मरण करें और निम्न मंत्रों का जाप सच्चे मन से करें तो व्यक्ति को सफलता प्राप्त होती है। सिर्फ शुक्रवार को ही नहीं बल्कि इन मंत्रों का जाप आप रोजाना भी कर सकते हैं। मंत्रों का जाप करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि इनका उच्चारण ठीक तरह से किया जाए। आइए पढ़ते हैं मां दुर्गा के ये 4 प्रिय मंत्र।

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    दुर्गा मां के इन मंत्रों का करें जाप:

    1. सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।

    शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।

    2. ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।

    दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।

    3. या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,

    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

    या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,

    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

    या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,

    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

    या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता,

    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

    या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता,

    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

    या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता,

    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

    या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता,

    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

    4. नवार्ण मंत्र 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै' का जाप अधिक से अधिक अवश्‍य करें।

    डिसक्लेमर

    'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। '