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Durga Ashtami 2021: आज है महाष्टमी व्रत, जानें महागौरी की पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र, भोग एवं महत्व

Durga Ashtami 2021 शारदीय नवरात्रि में महाष्टमी व्रत या दुर्गा अष्टमी व्रत का विशेष महत्व होता है। दुर्गा अष्टमी के दिन मां दुर्गा के महागौरी स्वरुप की आराधना की जाती है। आइए जानते हैं कि दुर्गा अष्टमी की सही तिथि व्रत एवं पूजा विधि मंत्र आदि क्या हैं?

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Tue, 12 Oct 2021 12:41 PM (IST)Updated: Wed, 13 Oct 2021 12:05 PM (IST)
Durga Ashtami 2021: आज है महाष्टमी व्रत, जानें महागौरी की पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र, भोग एवं महत्व
Durga Ashtami 2021: आज है महाष्टमी व्रत, जानें महागौरी की पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र एवं महत्व

Durga Ashtami 2021: शारदीय नवरात्रि में महाष्टमी व्रत या दुर्गा अष्टमी व्रत का विशेष महत्व होता है। जो लोग नवरा​त्रि के प्रारंभ वाले दिन व्रत रखते हैं, वे दुर्गा अष्टमी का भी व्रत रखते हैं। दुर्गा अष्टमी के दिन मां दुर्गा के महागौरी स्वरुप की आराधना की जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव को पाने के लिए कई वर्षों तक मां पार्वती ने कठोर तप किया था, जिससे उनके शरीर का रंग काला हो गया था। जब भगवान शिव उनकी तपस्या से प्रसन्न हुए तो उन्होंने उनको गौर वर्ण का वरदान भी दिया। इससे मां पार्वती महागौरी भी कहलाईं। महाष्टमी या दुर्गा अष्टमी को व्रत करने और मां म​हागौरी की आराधना करने से व्यक्ति को सुख, सौभाग्य और समृद्धि भी मिलती है। सब पाप भी नष्ट हो जाते हैं। आइए जानते हैं कि दुर्गा अष्टमी की सही तिथि, व्रत एवं पूजा विधि, मंत्र आदि क्या हैं? दुर्गा अष्टमी के दिन कई स्थानों पर कन्या पूजन और हवन भी किया जाता है।

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कब है दुर्गा अष्टमी 2021 या महाष्टमी 2021

इस बार महाष्टमी या दुर्गा अष्टमी की सही तारीख को लेकर लोगों में दुविधा की स्थिति है। इससे परेशान न हों। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी ति​थि को ही महाष्टमी या दुर्गा अष्टमी मनाई जाती है। इस वर्ष आश्विन शुक्ल अष्टमी ति​थि का प्रारंभ आज 12 अक्टूबर दिन मंगलवार की रात 09:47 बजे से हो रहा है, जो 13 अक्टूबर दिन बुधवार को रात 08:07 बजे तक है। ऐसे में दुर्गा अष्टमी का व्रत 13 अक्टूबर दिन बुधवार को रखा जाएगा। इस दिन ही मां महागौरी की पूजा की जाएगी।

सुकर्मा योग में दुर्गा अष्टमी 2021

दुर्गा अष्टमी सुकर्मा योग में है। सुकर्मा योग को मांगलिक कार्यों के लिए उत्तम माना जाता है। दुर्गा अष्टमी के दिन राहुकाल दोपहर 12:07 बजे से दोपहर 01:34 बजे तक है। ऐसे में आप राहुकाल का ध्यान रखते हुए दुर्गा अष्टमी की पूजा और हवन कर सकते हैं।

दुर्गा अष्टमी व्रत एवं पूजा विधि

अष्टमी के दिन स्नान आदि से निवृत होकर आप स्वच्छ वस्त्र धारण करें। उसके बाद हाथ में जल और अक्षत् लेकर दुर्गा अष्टमी व्रत करने तथा मां म​हागौरी की पूजा करने का संकल्प लें। इसके बाद पूजा स्थान पर मां महागौरी या दुर्गा जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित कर दें। कलश स्थापना किया है, तो वहीं पूजा करें। पूजा में मां महागौरी को सफेद और पीले फूल अर्पित करें। नारियल का भोग लगाएं। ऐसा करने से देवी महागौरी प्रसन्न होती हैं। नारियल का भोग लगाने से संतान संबंधी समस्याएं दूर होती हैं। पूजा के समय महागौरी बीज मंत्र का जाप करें और अंत में मां महागौरी की आरती करें।

बीज मंत्र: श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:।

अन्य मंत्र:

माहेश्वरी वृष आरूढ़ कौमारी शिखिवाहना।

श्वेत रूप धरा देवी ईश्वरी वृष वाहना।।

या

ओम देवी महागौर्यै नमः।

दुर्गा अष्टमी का हवन

कई स्थानों पर दुर्गा अष्टमी के दिन नौ दुर्गा के लिए हवन किया जाता है। आरती के बाद हवन सामग्री अपने पास रखें। कर्पूर से आम की सूखी लकड़ियों को जला लें। अग्नि प्रज्ज्वलित होने पर हवन सामग्री की आहुति दें।

कन्या पूजा 2021

आपके यहां दुर्गा अष्टमी को ही कन्या पूजन होता है, तो आप हवन के बाद 2 से 10 वर्ष की कन्याओं का अपनी क्षमता के अनुसार पूजन, दान, दक्षिणा और भोजन कराएं। उनका आशीष लें। कई स्थानों पर महानवमी के दिन कन्या पूजन की परंपरा है।

इसके बाद दिन भर फलाहार रहते हुए दुर्गा अष्टमी का व्रत करें। रात्रि के समय माता का जागरण करें। अगले दिन सुबह नवमी को पूजा के बाद पारण करके व्रत को पूरा करें।

डिस्क्लेमर

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