Shiv Stuti: सावन के महीने में रोजाना पूजा के समय करें ये स्तुति, चंद दिनों में बदल जाएगी फूटी किस्मत
Shiv Stuti धर्म शास्त्रों में निहित है कि सावन महीने में भगवान शिव की पूजा उपासना करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। अतः साधक श्रद्धा भाव से महादेव की पूजा-अर्चना करते हैं। अगर आप भी अपने करियर और कोराबार को नया आयाम देना चाहते हैं तो सावन महीने में रोजना गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक करें।

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Sawan Somvar 2023: सनातन धर्म में सावन के महीने का विशेष महत्व है। यह महीना महादेव को समर्पित होता है। इस महीने में रोजाना भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। सावन में नाग पंचमी, रक्षा बंधन, कामिका, पद्मिनी, पुत्रदा एकादशी, सोमवती अमावस्या, हरियाली तीज, कजरी, सावन सोमवार और मंगला गौरी व्रत आदि प्रमुख व्रत त्योहार मनाए जाते हैं। अतः इस महीने में उत्सव जैसा माहौल रहता है। 'हर हर महादेव', 'हर हर शंभू', 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र के जयकारे से वातावरण शिवमय हो जाता है। धर्म शास्त्रों में निहित है कि सावन महीने में भगवान शिव की पूजा उपासना करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। अतः साधक श्रद्धा भाव से महादेव की पूजा-अर्चना करते हैं। अगर आप भी अपने करियर और कोराबार को नया आयाम देना चाहते हैं, तो सावन महीने में रोजना गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक करें। साथ ही पूजा के समय शिव स्तुति का पाठ जरूर करें। इस स्तुति के पाठ से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं। उनकी कृपा से साधक की किस्मत चंद दिनों में बदल जाती है। आइए, शिव स्तुति का पाठ करें-
शिव शंकरम स्तुति
नमो भूत भूतनाथ नन्दीश्वर श्री हरे,
बहत गंग शिरपरे, जटा उतंग फरफरे,
हिमालये उमा सहित, शोभितं निरन्तरं,
उमापति महेश्वरम, नमामि शिव शंकरम।।
त्रिताप पाप क्षारणं, प्रभाय धर्म धारणम,
समस्त सृष्टि धारणम, मांगल्य मृत्यु कारणम,
अगम अनादि आशुतोष, धुर्जटी धुरंधरम,
उमापति महेश्वरम, नमामि शिव शंकरम।।
भले भभूत रंग में, रहत मस्त भंग में
श्मशानघाट वासिनी भुत प्रेत संग में
करंत हस्त घोरनाद, डमरू डडंकरम,
उमापति महेश्वरम नमामि शिव शंकरम।।
गले भुजंग मुण्डमाल भाल चंद शोभितंम,
मयंक भग्य दर्शकात्, भक्त चित लोभितंम,
आनंदकंद ध्यान मस्त, ॐकार उच्चरम,
उमापति महेश्वरम नमामि शिव शंकरम।
धरि त्रिशूल हाथ नाथ, दक्ष यज्ञ खंडितम,
रेमंड घोर गर्गरम तान्डव नृत्य मण्डितम,
देवाधिदेव दिव्य भव्य भासकम भयंकरम,
उमा पति महेश्वरम नमामि शिव शंकरम।।
अजर अमर त्रिपुर हरम, करम त्रिशूल धारणम,
संसार पाश नाशनम भव व्याधि पार तारणम
भजंत सर्व शिव हरे सुरासुरम धुरंधरम,
उमापति महेश्वरम नमामि शिव शंकरम।।
सोमेश्वरा,नागेश्वरा, श्रीमल्लिकार्जुनेश्वरा
महाकालं ममलेश्वरा धुश्मेशरा,
विश्वेशरा,केदार,भीम, बैद्यनाथ, त्रयंबकम रामेश्वरम,
उमापति महेश्वरम नमामि शिव शंकरम।।
प्रसन्न हो परम पिता, ये अनूपदान दायिताम,
नमः शिवाय नमः शिवाय भक्त गुण गायितंम,
नमः अलख निरंजनम श्याम मंगलम करम,
उमा पति महेश्वरम नमामि शिव शंकर।।
शंकर भगवान की स्तुति
आशुतोष सशाँक शेखर चन्द्र मौली चिदंबरा,
कोटि कोटि प्रणाम शम्भू कोटि नमन दिगम्बरा,
निर्विकार ओमकार अविनाशी तुम्ही देवाधि देव ,
जगत सर्जक प्रलय करता शिवम सत्यम सुंदरा ,
निरंकार स्वरूप कालेश्वर महा योगीश्वरा ,
दयानिधि दानिश्वर जय जटाधार अभयंकरा,
शूल पानी त्रिशूल धारी औगड़ी बाघम्बरी ,
जय महेश त्रिलोचनाय विश्वनाथ विशम्भरा,
नाथ नागेश्वर हरो हर पाप साप अभिशाप तम,
महादेव महान भोले सदा शिव शिव संकरा,
जगत पति अनुरकती भक्ति सदैव तेरे चरण हो,
क्षमा हो अपराध सब जय जयति जगदीश्वरा,
जनम जीवन जगत का संताप ताप मिटे सभी,
ओम नमः शिवाय मन जपता रहे पञ्चाक्षरा,
आशुतोष सशाँक शेखर चन्द्र मौली चिदम्बरा,
कोटि कोटि प्रणाम संभु कोटि नमन दिगम्बरा,
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