Move to Jagran APP

Kaal Bhairav Mantra And Aarti: मार्गशीर्ष अष्टमी को करें काल भैरव के मंत्र का जाप, पढ़ें आरती

Kaal Bhairav Mantra And Aarti भगवान शिव के अंश काल भैरव का जन्म महादेव के क्रोध के परिणामस्वरुप हुआ था। काल भैरव की पूजा करने के साथ उनके मंत्रों का जाप करना चाहिए। पूजा के अंत में काल भैरव की आरती करना उत्तम रहेगा।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Wed, 02 Dec 2020 10:00 AM (IST)Updated: Mon, 07 Dec 2020 05:30 AM (IST)
Kaal Bhairav Mantra And Aarti: मार्गशीर्ष अष्टमी को करें काल भैरव के मंत्र का जाप, पढ़ें आरती
मार्गशीर्ष अष्टमी को करें काल भैरव के मंत्र का जाप, पढ़ें आरती

Kaal Bhairav Mantra And Aarti: भगवान शिव के अंश काल भैरव का जन्म महादेव के क्रोध के परिणामस्वरुप हुआ था। हिन्दी पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव जयंती होती है। इस साल काल भैरव जयंती 07 दिसंबर ​दिन सोमवार को है। सुखद संयोग है कि सोमवार का दिन भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित होता है और इस दिन ही काल भैरव जयंती भी है। इस दिन आपको काल भैरव की पूजा करने के साथ उनके मंत्रों का जाप करना चाहिए। पूजा के अंत में काल भैरव की आरती करना उत्तम रहेगा। काल भैरव आपके जीवन की समस्याओं का निदान करने में सक्षम है। काशी के कोतवाल कहे जाने वाले काल भैरव अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

loksabha election banner

काल भैरव मंत्र

धर्मध्वजं शङ्कररूपमेकं शरण्यमित्थं भुवनेषु सिद्धम्।

द्विजेन्द्र पूज्यं विमलं त्रिनेत्रं श्री भैरवं तं शरणं प्रपद्ये।।

काल भैरव गायत्री मंत्र

ओम शिवगणाय विद्महे।

गौरीसुताय धीमहि।

तन्नो भैरव प्रचोदयात।।

काल भैरव की आरती

जय भैरव देवा, प्रभु जय भैरव देवा।

जय काली और गौरा देवी कृत सेवा।।

तुम्हीं पाप उद्धारक दुख सिंधु तारक।

भक्तों के सुख कारक भीषण वपु धारक।।

वाहन शवन विराजत कर त्रिशूल धारी।

महिमा अमिट तुम्हारी जय जय भयकारी।।

तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होवे।

चौमुख दीपक दर्शन दुख सगरे खोवे।।

तेल चटकि दधि मिश्रित भाषावलि तेरी।

कृपा करिए भैरव करिए नहीं देरी।।

पांव घुंघरू बाजत अरु डमरू डमकावत।।

बटुकनाथ बन बालक जन मन हर्षावत।।

बटुकनाथ जी की आरती जो कोई नर गावे।

कहें धरणीधर नर मनवांछित फल पावे।।

काल भैरव भगवान शिव के अंश है। ऐसे में जब भी आप काल भैरव के मंत्रों का जाप करें, तो उसमें रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करें। उनका तेल और सिंदूर से श्रृंगार करें। भगवान काल भैरव को पूजा के समय चावल, गुलाब के फूल, लाल चंदन, नारियल एवं जनेऊ अवश्य अर्पित करना चाहिए।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। '


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.