Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Surya Mantra: रविवार को इन मंत्रों के साथ करें सूर्य देव की आरती, सभी संकटों से मिलेगी मुक्ति

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Sun, 23 Jul 2023 10:26 AM (IST)

    Surya Mantra सूर्य देव की उपासना करने से आय और सौभाग्य में अपार वृद्धि होती है। उनकी कृपा से जातक को करियर और कारोबार में मनचाही सफलता मिलती है। अतः जातक रविवार के दिन सूर्य देव की श्रद्धा भाव से पूजा-उपासना करते हैं। धर्म ग्रंथों में सूर्य देव को वैद्य भी कहा जाता है। उनकी उपासना करने से त्वचा से जुड़ी समस्याएं दूर हो जाती हैं।

    Hero Image
    Surya Mantra: रविवार को इन मंत्रों के साथ करें सूर्य देव की आरती, सभी संकटों से मिलेगी मुक्ति

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Surya Mantra: आज सावन महीने का रविवार है। रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित होता है। इस दिन विधि पूर्वक सूर्य देव की पूजा-अर्चना की जाती है। सूर्य देव की उपासना करने से आय और सौभाग्य में अपार वृद्धि होती है। उनकी कृपा से जातक को करियर और कारोबार में मनचाही सफलता मिलती है। अतः जातक रविवार के दिन सूर्य देव की श्रद्धा भाव से पूजा-उपासना करते हैं। धर्म ग्रंथों में सूर्य देव को 'वैद्य' भी कहा जाता है। उनकी उपासना करने से त्वचा से जुड़ी समस्याएं दूर हो जाती हैं। अगर आप भी अपने जीवन में व्याप्त दुख और संकट से निजात पाना चाहते हैं, तो रविवार को इन मंत्रों के जाप के साथ सूर्य आरती करें। आइए, श्रद्धा भाव से सूर्य देव की आरती करें-

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सूर्य मंत्र

    ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः

    ॐ घृणिः सूर्याय नमः

    ॐ ह्रीं घृणिः सूर्याय नमः

    ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय सहस्रकिरणाय नमः

    ॐ भास्कराय नमः

    ॐ हिरण्यगर्भाय नमः

    ॐ जगद्धिताय नमः

    ॐ खगाय नमः

    ॐ अरुणाय नमः

    ॐ भानवे नमः

    ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते,

    अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।

    सूर्य पौराणिक मंत्र

    जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम ।

    तमोsरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोsस्मि दिवाकरम ।।

    सूर्य वैदिक मंत्र

    ऊँ आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यण्च ।

    हिरण्य़येन सविता रथेन देवो याति भुवनानि पश्यन ।।

    सूर्य गायत्री मंत्र

    ऊँ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्न: सूर्य: प्रचोदयात ।।

    सूर्य देव की आरती

    जय जय जय रविदेव, जय जय जय रविदेव।

    जय जय जय रविदेव, जय जय जय रविदेव॥

    रजनीपति मदहारी, शतदल जीवनदाता।

    षटपद मन मुदकारी, हे दिनमणि दाता॥

    जग के हे रविदेव, जय जय जय रविदेव।

    जय जय जय रविदेव, जय जय जय रविदेव॥

    नभमंडल के वासी, ज्योति प्रकाशक देवा।

    निज जन हित सुखरासी, तेरी हम सबें सेवा॥

    करते हैं रविदेव, जय जय जय रविदेव।

    जय जय जय रविदेव, जय जय जय रविदेव॥

    कनक बदन मन मोहित, रुचिर प्रभा प्यारी।

    निज मंडल से मंडित, अजर अमर छविधारी॥

    हे सुरवर रविदेव, जय जय जय रविदेव।

    जय जय जय रविदेव, जय जय जय रविदेव॥

    डिसक्लेमर-'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'