Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    दीपक का संदेश

    By Edited By:
    Updated: Wed, 07 Nov 2012 01:26 PM (IST)

    ईश्वर को प्रकाश स्वरूप माना गया है। अत: दीपक की ज्योति ज्ञान एवं विवेक जैसे ईश्वरीय गुणों को प्रकट करती है। दीप पात्रता, लगन, स्नेह और प्रकाश का समन्वय है। इसके अवयवों को इस प्रकार समझा जा सकता है -

    ईश्वर को प्रकाश स्वरूप माना गया है। अत: दीपक की ज्योति ज्ञान एवं विवेक जैसे ईश्वरीय गुणों को प्रकट करती है। दीप पात्रता, लगन, स्नेह और प्रकाश का समन्वय है। इसके अवयवों को इस प्रकार समझा जा सकता है -

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पात्र : दीपक का पात्र पात्रता-प्रामाणिकता का प्रतीक है। पात्रता का अर्थ ही होता है- प्रामाणिकता। अत: उपासना करने वाले व्यक्ति का प्रामाणिक होना अनिवार्य है।

    घृत : घी-तेल आदि को संस्कृत में स्नेह कहते हैं। पात्र में इसे भरने का अर्थ है कि प्रामाणिक व्यक्ति अपने अंदर संपूर्ण मानवता के प्रति स्नेह धारण करे।

    वर्तिका : दीप की बत्ती को संस्कृत में वर्तिका कहते हैं। इसका अर्थ होता है- लगन, अर्थात बिना कर्मठता के ईश्वरीय अनुदान संभव नहीं।

    ज्योति : पात्र, स्नेह और वर्तिका को धारण करने के बाद ही दीपक ज्योति को धारण कर सकता है। अर्थात पात्रता, स्नेह और कर्मठता के गुणों को धारण करने वाले व्यक्ति के अंतर्मन में ही ईश्वरीय प्रभा आलोकित होती है।

    दीप हिंदुओं का तो प्रमुख पूजन प्रतीक है ही, ईसाई भी चर्च में मोमबत्ती जलाते हैं। इस्लाम में चिराग रोशन किया जाता है और पारसियों की प्रमुख आराध्य ही अग्नि है। दीप के महत्व के कारण दीपयज्ञों की परंपरा शुरू हुई। मात्र अंधकार को धिक्कारते रहने से उजाला नहीं आता। उसके लिए दीप जलाना अनिवार्य है। अर्थात विश्व-कल्याण की अपेक्षा करना ही पर्याप्त नहीं, बल्कि उसके लिए प्रयास करना आवश्यक है। जिस प्रकार एक दीप से अनेक दीप जलते हैं, उसी प्रकार एक प्रयास अन्य लोगों को प्रेरणा देगा।

    [साभार: देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार]

    मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर