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Diwali Katha: दिवाली पर जरूर सुनें माता लक्ष्मी की ये कथा, धन-वैभव से भर जाएगा आपका घर

Dhanteras And Diwali Katha आज दिवाली का त्योहार माता लक्ष्मी की पूजा का समर्पित है। धन-वैभव की प्राप्ति के लिए आज माता लक्ष्मी की कथा सुनें।

By kartikey.tiwariEdited By: Published: Wed, 23 Oct 2019 11:39 AM (IST)Updated: Sun, 27 Oct 2019 12:57 PM (IST)
Diwali Katha: दिवाली पर जरूर सुनें माता लक्ष्मी की ये कथा, धन-वैभव से भर जाएगा आपका घर
Diwali Katha: दिवाली पर जरूर सुनें माता लक्ष्मी की ये कथा, धन-वैभव से भर जाएगा आपका घर

Dhanteras And Diwali Katha: आज दिवाली का त्योहार माता लक्ष्मी की पूजा का समर्पित है। धन-वैभव की प्राप्ति के लिए आज माता लक्ष्मी की कथा सुनें। इस दिन माता लक्ष्मी, श्री गणेश और कुबेर की पूजा-अर्चना विधि विधान से करना चाहिए। इस दिन अपने घर में दीपों से रोशन करें, माता लक्ष्मी के पसंद की वस्तुएं और मिठाई अवश्य लाएं। माता लक्ष्मी के साथ गणेश जी को भी लड्डू का भोग लगाएं। 

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दीपावली पर सुनें माता लक्ष्मी की यह कथा

दीपावली के संदर्भ में माता लक्ष्मी की यह कथा प्रचलित है। एक बार कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को माता लक्ष्मी विचरण कर रही थीं, तभी वह रास्ता भूल गईं। हर ओर घोर अंधेरा था। पृथ्वी लोक पर हर कोई सो रहा था, घर के दरवाजे बंद थे। माता लक्ष्मी भ्रमण करते हुए एक वृद्ध महिला के घर पहुंची, जो चरखा चला रही थी। उसने माता लक्ष्मी को विश्राम करने के लिए बिस्तर आदि की व्यवस्था की, जहां पर माता लक्ष्मी ने विश्राम किया।

इस दौरान वह वृदा अपने काम में व्यस्त रही। काम करते-करते वह सो गई। जब उसकी आंख खुली तो उसकी कुटिया की जगह महल बन गया था। उसके घर में धन-धान्य के अतिरिक्त सभी चीजें मौजूद थीं। किसी चीज की कमी नहीं थी। माता लक्ष्मी वहां से ​कब चली गई थीं, उसे वृद्ध महिला को पता ही नहीं चल पाया था। माता लक्ष्मी उस महिला की सेवा से प्रसन्न होकर उस पर कृपा की थींं। उसके बाद से हर वर्ष कार्तिक अमावस्या को रात्रि में प्रकाशोत्सव करने की परंपरा शुरू हो गई। इस दिन माता लक्ष्मी के आगमन के लिए लोग अपने घरों के द्वार खोलकर रखने लगे।

धनतेरस के लिए माता लक्ष्मी की कथा

एक बार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी पृथ्वी लोक में भ्रमण कर रहे थे। भगवान विष्णु ने एक स्थान पर माता लक्ष्मी को रोका और कहा कि वह दक्षिण दिशा में जा रहे हैं, जब तक वे लौटकर नहीं आते हैं तब तक आप यहीं पर रहें। ऐसा कहकर भगवान विष्णु वहां से प्रस्थान कर गए। कुछ देर के बाद माता लक्ष्मी के मन में जिज्ञासा हुई कि श्रीहरि विष्णु दक्षिण में क्यों गए हैं?

माता लक्ष्मी वहां से उस दिशा में चल दीं, जिस ओर भगवान विष्णु गए थे। रास्ते में एक खेत में सरसों के पीले फूल देखकर वह अतिप्रसन्न हुईं। उन्होंने उससे अपना श्रृंगार किया और आगे एक और गन्ने के खेत से गन्ना तोड़कर चूसने लगीं। तभी भगवान विष्णु वहां आ गए। माता लक्ष्मी को वहां देखकर वे नाराज हो गए। उन्होंने कहा कि आपने किसान के खेत से चोरी की है और उनकी भी बात नहीं मानी है। इस वजह से आपको अब 12 साल तक किसान की सेवा करनी होगी। इसके बाद भगवान विष्णु वहां से चले गए।

माता लक्ष्मी 12 वर्षों तक उस किसान के यहां रहीं, वह बहुत सम्पन्न हो गया था। उसके पास सोने, चांदी, अन्न, आदि की कमी नहीं थी। 12 वर्षों के बाद भगवान विष्णु माता लक्ष्मी को लेने आए, तो किसान ने उनको भेजने से मना कर दिया। तब भगवान विष्णु ने कहा कि उनके श्राप के कारण माता लक्ष्मी ने 12 साल तक तुम्हारी सेवा की है, अब ये यहां नहीं रह सकती हैं, लेकिन किसान फिर भी नहीं माना।

तब माता लक्ष्मी ने कहा कि कल त्रयोदशी तिथि है, इस दिन पूरे घर की साफ-सफाई करना, रात्रि के समय कलश में रुपये-पैसे रखकर विधि विधान से मेरी पूजा करना। मैं उस कलश में वास करूंगी, लेकिन तुम मुझे देख नहीं पाओगे। इस दिन पूजा करने से पूरे वर्ष मैं तुम्हारे घर रहूंगी। उसने माता लक्ष्मी की बात मानकर त्रयोदशी को पूजा किया, जिससे वह पहले से ज्यादा धन-धान्य से संपन्न हो गया। इस कारण से हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को माता लक्ष्मी की पूजा होने लगी।


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