Dhanteras 2024: धनतेरस की पूजा में करें स्रोत्र और मंत्रों का जप, शुभ फल की होगी प्राप्ति
धनतेरस से पांच दिवसीय उत्सव की शुरुआत होती है। धनतेरस (Dhanteras 2024) पर्व भगवान धन्वन्तरि को समर्पित है। धनतेरस का पर्व सुख-शांति और धन की प्राप्ति के लिए अच्छा माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान धन्वन्तरि (Dhanvantari Puja Mantra) के मंत्रों का जप करने से धन से सदैव तिजोरी भरी रहती है और धन्वन्तरि जी प्रसन्न होते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है। इस तिथि पर धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान धन्वन्तरि (Dhanvantari Mantra Lyrics) की विशेष पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही सच्चे मन से भगवान धन्वन्तरि के मंत्रों का जप और धन्वन्तरि स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। इससे पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता है। पंचांग के अनुसार, इस बार धनतेरस का पर्व 29 अक्टूबर (Dhanteras 2024 Date) को मनाया जाएगा।
श्री धन्वंतरि मंत्र
1. ॐ धन्वंतराये नमः
2. ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:
अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय
त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप
श्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥
3. “ॐ धन्वंतरये नमः”॥
धार्मिक मान्यता है कि भगवान धन्वन्तरि का विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने से जातक को जीवन में कभी भी धन की कमी का सामना नहीं करना पड़ता है।
4. ॐ नमो भगवते धन्वन्तरये अमृत कलश हस्ताय सर्व आमय
विनाशनाय त्रिलोक नाथाय श्री महाविष्णुवे नम:||
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5. “ऊँ रं रूद्र रोगनाशाय धन्वन्तर्ये फट्।।”
6. ॐ वासुदेवाय विघ्माहे वैधयाराजाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात् ||
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे अमृता कलसा हस्थाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात् ||
7. तारकमन्त्रम् ।
ओं धं धन्वन्तरये नमः ।
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8. ॐ नमो भगवते धनवंतराय
अमृताकर्षणाय धन्वन्तराय
वेधासे सुराराधिताय धन्वंतराय
सर्व सिद्धि प्रदेय धन्वंतराय
सर्व रक्षा कारिणेय धन्वंतराय
सर्व रोग निवारिणी धन्वंतराय
सर्व देवानां हिताय धन्वंतराय
सर्व मनुष्यानाम हिताय धन्वन्तराय
सर्व भूतानाम हिताय धन्वन्तराय
सर्व लोकानाम हिताय धन्वन्तराय
सर्व सिद्धि मंत्र स्वरूपिणी
धन्वन्तराय नमः
पूजा के दौरान भगवान धन्वन्तरि को प्रिय चीजों का भोग लगाना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि भोग अर्पित करने से जातक को भगवान धन्वन्तरि की कृपा प्राप्त होती है।
धन्वन्तरि स्रोत्र
ॐ शंखं चक्रं जलौकां दधदमृतघटं चारुदोर्भिश्चतुर्मिः
सूक्ष्मस्वच्छातिहृद्यांशुक परिविलसन्मौलिमंभोजनेत्रम।
कालाम्भोदोज्ज्वलांगं कटितटविलसच्चारूपीतांबराढ्यम
वन्दे धन्वंतरिं तं निखिलगदवनप्रौढदावाग्निलीलम।
ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:
अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय।
त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप
श्री धन्वंतरि स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः।
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