Move to Jagran APP

Dhanteras 2022: कुबेर जी की पूजा करते समय रखें इन बातों का ध्यान

Dhanteras 2022 धनतेरस पर्व के भगवान कुबेर की पूजा का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि कुबेर जी की पूजा करने से भक्तों की सभी आर्थिक समस्याएं दूर हो जाती हैं और उन्हें धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

By Shantanoo MishraEdited By: Published: Fri, 21 Oct 2022 05:17 PM (IST)Updated: Fri, 21 Oct 2022 05:17 PM (IST)
Dhanteras 2022: धन के देवता कुबेर की पूजा करते समय रखें इन बातों का ध्यान।

नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क | Dhanteras 2022: हिन्दू धर्म में पूजा-पाठ को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसमें भी किसी विशेष दिन पर की जाने वाली पूजा का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। बता दें कि हिन्दू पंचांग के अनुसार 23 अक्टूबर (Dhanteras 2022 Date) के दिन धनतेरस पर्व मनाया जाएगा। इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा का विधान है। इस दिन विशेष पूजा करने से भक्तों को लाभ मिलता है और उन्हें सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस दिन शुभ मुहूर्त में की गई पूजा से भगवान कुबेर और माता लक्ष्मी प्रसन्न होते हैं।

loksabha election banner

धनतेरस के दिन विशेष रूप से भगवान कुबेर की पूजा की जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें शास्त्रों में धन का देवता या देवताओं के धन का खजांची इत्यादि उपाधियों से वर्णित किया गया है। मान्यताओं के अनुसार उन्हें भगवान ब्रह्मा के समस्त सम्पत्ति का स्वामी बनाया गया था। आइए जानते हैं क्यों होती है धनतेरस के दिन कुबेर की पूजा और क्या है इनकी पूजा के नियम।

धनतेरस पर क्यों की जाती है भगवान कुबेर की पूजा (Dhanteras 2022 Kuber Puja)

किवदंतियों के अनुसार महामुनि विश्रवा ने भारद्वाज जी की कन्या इलविला का पाणिग्रहण संस्कार किया था, तब कुबेर जी की उत्पत्ति हुई थी। माना जाता है कि भगवान कुबेर का धन किसी खजाने के रूप एन गड़ा हुआ या स्थिर स्थिति में होता है। साथ ही भगवान कुबेर को उत्तर दिशा का लोकपाल भी नियुक्त किया गया था। धनतेरस के दिन भगवान कुबेर की पूजा से माता लक्ष्मी अत्यधिक प्रसन्न होती हैं और भक्तों को धन, ऐश्वर्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

इस तरह करें भगवान कुबेर की पूजा (Dhanteras 2022 Kuber Puja Vidhi)

धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरी के बाद भगवान कुबेर की पूजा का विधान शास्त्रों में वर्णित है। इस समय कुबेर यंत्र दक्षिण दिशा में स्थापित करें और गंगाजल के साथ विनियोग मंत्र का जाप करें। उस जल को भूमि पर अर्पित कर दें और फिर कुबेर मंत्र का शुद्ध उच्चारण करें। अंत में आरती जरूर करें। बिना आरती के पूजा सम्पन्न नहीं होती है। स्कन्द पुराण में भी भगवान विष्णु ने बताया है कि अगर कोई भक्त मंत्रहीन और क्रियाहीन पूजा करता है लेकिन प्रेम और श्रद्धा भाव से आरती करता तो उसकी पूजा सफल हो जाती है।

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.