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    Dhanteras 2022: धनतेरस पर्व के दिन करें भगवान धनवंतरी स्तुति का पाठ और आरती

    Dhanteras 2022 धनतेरस पर्व के दिन भगवान धनवंतरी की पूजा का विशेष महत्व है। उनकी पूजा करने से व्यक्ति को आरोग्य और सुंदरता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ऐसे में इस दिन व्यक्ति को उनकी स्तुति जरूर करनी चाहिए।

    By Shantanoo MishraEdited By: Updated: Sun, 16 Oct 2022 01:51 AM (IST)
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    Dhanteras 2022: धनतेरस के दिन जरूर करें भगवान धनवंतरी स्तुति का पाठ और आरती।

    नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क | Dhanteras 2022, Dhanvantri Stuti: हिन्दू धर्म में धनतेरस पर्व को महत्वपूर्ण त्यौहारों में गिना जाता है। पौराणिक मान्यताओं पर आधारित इस पर्व के दिन धन देवता कुबेर और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। लेकिन इस दिन भगवान धनवंतरी की पूजा का भी विशेष महत्व है। धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरी की पूजा करने से आरोग्य व सुंदरता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। शास्त्रों के अनुसार भगवान धनवंतरी चिकित्सा के देवता हैं। इसलिए अच्छे स्वास्थ्य और सफल जीवन के लिए इनकी आराधना करना व्यक्ति के लिए बहुत महत्पूर्ण माना जाता है। पौराणिक काल में भगवान धनवंतरी को प्रसन्न करने के लिए कई स्तोत्र और आरती की रचना की गई थी। जिनका पाठ करने से भक्तों को विशेष लाभ मिलता है।

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    धन्वंतरि स्तोत्र (Bhagwan Dhanvantri Stuti)

    शंखं चक्रं जलौकादधतम् अमृतघटम् चारूदौर्भिश्चतुर्भि:।

    सूक्ष्म स्वच्छ अति-हृद्यम् शुक परि विलसन मौलिसंभोजनेत्रम्।।

    कालांभोदोज्वलांगं कटितटविल स: चारूपीतांबराढ़यम्।

    वंदे धन्वंतरीम् तम् निखिल गदम् इवपौढदावाग्रिलीलम्।।

    यो विश्वं विदधाति पाति सततं संहारयत्यंजसा।

    सृष्ट्वा दिव्यमहोषधींश्च विविधान् दूरीकरोत्यामयान्।।

    विंभ्राणों जलिना चकास्ति भुवने पीयूषपूर्ण घटम्।

    तं धन्वंतरीरूपम् इशम् अलम् वन्दामहे श्रेयसे।।

    करें भगवान धनवंतरी जी की आरती (Bhagwan Dhanvantri Aarti)

    जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा।

    जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा।।जय धन्वं।।।

    तुम समुद्र से निकले, अमृत कलश लिए।

    देवासुर के संकट आकर दूर किए।।जय धन्वं।।।

    आयुर्वेद बनाया, जग में फैलाया।

    सदा स्वस्थ रहने का, साधन बतलाया।।जय धन्वं।।।

    भुजा चार अति सुंदर, शंख सुधा धारी।

    आयुर्वेद वनस्पति से शोभा भारी।।जय धन्वं।।।

    तुम को जो नित ध्यावे, रोग नहीं आवे।

    असाध्य रोग भी उसका, निश्चय मिट जावे।।जय धन्वं।।।

    हाथ जोड़कर प्रभुजी, दास खड़ा तेरा।

    वैद्य-समाज तुम्हारे चरणों का घेरा।।जय धन्वं।।।

    धन्वंतरिजी की आरती जो कोई नर गावे।

    रोग-शोक न आए, सुख-समृद्धि पावे।।जय धन्वं।।।

    डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।