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Dev Uthani Ekadashi 2019: शुक्रवार को है देवउठनी एकादशी, जानें पूजा का मुहूर्त और मंत्र

Dev Uthani Ekadashi 2019 भगवान विष्णु की आराधना को समर्पित देवउठनी एकादशी शुक्रवार को है। यह हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को होती है।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Thu, 31 Oct 2019 01:10 PM (IST)Updated: Wed, 06 Nov 2019 11:37 AM (IST)
Dev Uthani Ekadashi 2019: शुक्रवार को है देवउठनी एकादशी, जानें पूजा का मुहूर्त और मंत्र

Dev Uthani Ekadashi 2019: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी कहा जाता है, जो इस वर्ष 08 नवंबर दिन शुक्रवार को है। देवउठनी एकादशी को हरिप्रबोधिनी एकादशी और देवोत्थान एकादशी नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु योग निद्रा से निवृत हो जाते हैं और स्वयं को लोक कल्याण लिए समर्पित करते हैं। देवउठनी एकादशी के दिन चतुर्मास का अंत हो जाता है। इसके बाद से ही विवाह, मुंडन, उपनयन संस्कार जैसे मांगलिक कार्य प्रारंभ होते हैं। इस दिन सभी देवता योग निद्रा से जग जाते हैं।

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देवउठनी एकादशी मुहूर्त

एकादशी तिथि का प्रारंभ: 07 नवंबर को सुबह 09 बजकर 55 मिनट से।

एकादशी तिथि का समापन: 08 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 24​ मिनट तक।

देवउठनी के दिन करें भगवान विष्णु की आराधना

देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु समेत सभी देवता योग निद्रा से बाहर आते हैं, ऐसे में इस दिन भगवान विष्णु समेत अन्य देवों की पूजा की जाती है। देवउठनी एकादशी को तुलसी विवाह भी कराने का विधान है। इस दिन दान, पुण्य आदि का भी विशेष फल प्राप्त होता है।

देवउठनी एकादशी मंत्र

“उत्तिष्ठो उत्तिष्ठ गोविंदो, उत्तिष्ठो गरुणध्वज।

उत्तिष्ठो कमलाकांत, जगताम मंगलम कुरु।।”

आसान शब्दों में इसे कहते हैं: “देव उठो, देव उठो! कुंआरे बियहे जाएं; बीहउती के गोद भरै।।”

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देवशयनी से देवउठनी एकादशी तक नहीं होते मांगलिक कार्य

12 जुलाई दिन शुक्रवार को देवशयनी एकादशी थी, इस दिन भगवान विष्णु चार महीने के लिए योग निद्रा में चले गए थे। देवशयनी एकादशी से चतुर्मास का प्रारंभ हो गया था, जो देवउठनी एकादशी तक रहता है। चतुर्मास में भगवान शिव सृष्टि के पालक होते हैं। इस दौरान विवाह, उपनयन संस्कार जैसे मांगलिक कार्य नहीं होते हैं।

साल भर में चौबीस एकादशी आती हैं, जिसमें देवउठनी एकादशी या देवोत्थान एकादशी को प्रमुख एकादशी माना जाता है। इस दिन शुभ मुहूर्त में भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा अर्चना करनी चाहिए।


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