Dattatreya Jayanti 2022: दत्तात्रेय जयंती आज, जानें व्रत का महत्व और पूजा विधि
Dattatreya Jayanti 2022 भगवान दत्तात्रेय को त्रिदेवों का अंश माना जाता है। 07 दिसंबर 2022 के दिन भगवान दत्तात्रेय की जयंती मनाई जाती है। इस दिन पूजा पाठ करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। जानिए इस दिन का महत्व पूजा विधि और मंत्र।
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Dattatreya Jayanti 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा तिथि को दत्तात्रेय जयंती का पर्व मनाया जाता है। हिन्दू धर्म में भगवान दत्तात्रेय की पूजा का विशेष महत्व है। ऐसा इसलिए क्योंकि इन्हें त्रिदेव अर्थात भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का अंश माना जाता है। शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन पूजा-पाठ करने से और उपवास का पालन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। आइए जानते हैं क्या है इस दिन का महत्व और पूजा विधि
इस योग में करें भगवान दत्तात्रेय की पूजा (Dattatreya Jayanti 2022 Shubh Yog)
हिन्दू पंचांग के अनुसार दत्तात्रेय जयंती पर पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा। इस योग में भगवान की पूजा और मांगलिक कार्य करना बहुत ही शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस योग में पूजा-पाठ करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं और भक्तों को अत्यंत लाभ मिलता है।
दत्तात्रेय जयंती 2022 महत्व (Dattatreya Jayanti 2022 Importance)
शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान दत्तात्रेय तीन मुख धारण करते हैं। इनके पिता महर्षि अत्रि थे और इनकी माता का नाम अनुसूया था। महत्वपूर्ण बात यह है कि भगवान दत्तात्रेय ने प्रकृति, मनुष्य और पशु-पक्षी सहित चौबीस गुरुओं का निर्माण किया था। मान्यता है कि इनके जन्मदिवस पर इनकी पूजा करने से और उपवास रखने से शीघ्र फल मिलते हैं और भक्तों को कष्टों से मुक्ति प्राप्त हो जाती है। साथ ही उन्हें धन-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
दत्तात्रेय जयंती 2022 पूजा विधि (Dattatreya Jayanti 2022 Puja Vidhi)
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर साफ वस्त्र धारण करें और नए व शुद्ध आसन पर भगवान दत्तात्रेय की मूर्ति अथवा चित्र स्थापित करें। आसन का रंग सफेद होना चाहिए। इसके बाद उनका गंगाजल से अभिषेक करें और सफेद रंग के पुष्प अर्पित करें। फिर धूप-दीप जलाकर पूजा करें और मीठे का भोग लगाएं।
करें इन मंत्रों का जाप (Bhagwan Dattatreya Mantra)
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ॐ द्रां दत्तात्रेयाय नमः ।।
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ॐ दिगंबराय विद्महे योगिश्रारय् धीमही, तन्नो दतः प्रचोदयात ।।
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