Move to Jagran APP

Chitragupta Jayanti 2020: आज है चित्रगुप्त जयंती और गंगा जयंती, जीवन-मृत्यु का लेखा-जोखा रखते हैं भगवान चित्रगुप्त

Chitragupta Jayanti 2020आज के दिन भगवान चित्रगुप्त प्रकट हुए थे वहीं मां गंगा स्वर्ग लोक से भगवान शिव की जटाओं पहुंची थीं इसलिए इसे गंगा सप्तमी या गंगा जयंती के रूप में जानते है

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Thu, 30 Apr 2020 09:27 AM (IST)Updated: Thu, 30 Apr 2020 09:28 AM (IST)
Chitragupta Jayanti 2020: आज है चित्रगुप्त जयंती और गंगा जयंती, जीवन-मृत्यु का लेखा-जोखा रखते हैं भगवान चित्रगुप्त
Chitragupta Jayanti 2020: आज है चित्रगुप्त जयंती और गंगा जयंती, जीवन-मृत्यु का लेखा-जोखा रखते हैं भगवान चित्रगुप्त

Chitragupta Jayanti 2020: आज वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि और तारीख 30 अप्रैल है। वैशाख शुक्ल सप्तमी तिथि का हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्व है। आज के दिन भगवान चित्रगुप्त प्रकट हुए थे, वहीं मां गंगा स्वर्ग लोक से भगवान शिव की जटाओं पहुंची थीं, इसलिए इस दिन को गंगा सप्तमी या गंगा जयंती के रूप में जाना जाता है। गंगा सप्तमी के दिन मां गंगा की पूजा की जाती है। आज के दिन स्नान दान का भी महत्व है। वहीं, आज कायस्थ समाज के ईष्टदेव भगवान चित्रगुप्त की भी पूजा की जाती है।

loksabha election banner

कैसे हुआ भगवान चित्रगुप्त का जन्म

ब्रह्मा जी ने जब सृष्टि का निर्माण किया तब उन्होंने देव-असुर, गंधर्व, अप्सरा, स्त्री-पुरुष पशु-पक्षी सभी को बनाया। ऐसे ही यमराज का जन्म हुआ, जो धर्मराज कहलाए। उनको सभी जीवों को उनके कर्म के आधार पर सजा देने का अधिकार प्राप्त हुआ। तब उन्होंने ब्रह्मा जी से अपने लिए एक कुशल सहयोगी मांगा। तब 1000 वर्ष बाद ब्रह्मा जी की काया से दिव्य पुरुष भगवान चित्रगुप्त प्रकट हुए। ब्रह्मा जी की काया से जन्म होने के कारण चित्रगुप्त जी कायस्थ कहलाए।

चित्रगुप्त जी को यमराज का मुंशी भी कहा जाता है। वे अपनी भुजाओं में कलम, दवात, करवाल और किताब धारण करते हैं। वे सभी जीवों के जीवन-मृत्यु का लेखा-जोखा रखते हैं। उसके आधार पर ही यमराज उनको दंड या न्याय देते हैं। यम द्वितीया या कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को भगवान चित्रगुप्त और यमराज की पूजा विधिपूर्वक की जाती है। उनके आशीर्वाद से व्यक्ति को बुरे कार्यों के लिए नरक में कष्ट नहीं भोगने पड़ते हैं।

गंगा जयंती या गंगा सप्तमी

वैशाख शुक्ल सप्तमी तिथि का प्रारम्भ 29 अप्रैल दिन बुधवार को दोपहर 15:12 बजे से हो गया था, जो आज गुरुवार 30 अप्रैल को 14:39 बजे तक है। वैशाख शुक्ल सप्तमी को गंगा सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है। आज गंगा सप्तमी के दिन गंगा में स्नान मात्र से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट मिट जाते हैं और उसे जीवन मरण के चक्र से मुक्ति मिल जाती है।

गंगा अवतरण कथा

कपिल मुनि ने अपने श्राप से राजा सागर के 60 हजार पुत्रों को भस्म कर दिया था। उनके मोक्ष के लिए उनके वंशज भगीरथ ने मां गंगा को धरती पर लाने के लिए कठोर तपस्या की। गंगा जी ने प्रसन्न होकर धरती पर अवतरित होने की बात मान ली, लेकिन उनका वेग इतनी तीव्र था कि धरती पर आने से प्रलय आ सकता था। तब भगवान शिव ने वैशाख शुक्ल सप्तमी को मां गंगा को अपनी जटाओं में धारण किया, जिससे उनका वेग कम हो गया। तब से इस दिन को गंगा सप्तमी या गंगा जयंती के रूप में मनाते हैं। भगवान शिव की जटाओं से होते हुए मां गंगा धरती पर अवतरित हुईं और भगीरथ के पूर्वजों को मोक्ष प्रदान किया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.