Brihaspativar Ke Mantr: बृहस्पतिवार को करें इन मंत्रों का जाप, दूर होंगे सभी कष्ट
Brihaspativar Ke Mantr बृहस्पतिवार की पूजा में बृहस्पति देव की व्रत कथा और आरती करने का विधान है। परंतु आज हम आपको कुछ ऐसे शास्त्रोक्त मंत्रों के बारे में बाताएंगे जिनका बृहस्पतिवार को जाप करने से आपके सभी कष्ट दूर होंगे और मनोकामनाएं पूरी होंगी..

Brihaspativar Ke Mantr : बृहस्पतिवार के दिन भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है। इस दिन देवताओं के गुरु बृहस्पति देव की पूजा भी भगवान विष्णु के रूप में की जाती है, इसलिये ही इस दिन को बृहस्पतिवार या गुरुवार के नाम से जाना जाता है। बृहस्पतिवार को केले के पौधे के नीचे भगवान विष्णु का पूजन करने तथा व्रत रखने का विधान है। बृहस्पतिवार के दिन विष्णु जी को गुड़, चना और हल्दी का भोग जरूर लगाना चाहिए। बृहस्पतिवार की पूजा में बृहस्पति देव की व्रत कथा और आरती करने का विधान है। परंतु आज हम आपको कुछ ऐसे शास्त्रोक्त मंत्रों के बारे में बाताएंगे, जिनका बृहस्पतिवार को जाप करने से आपके सभी कष्ट दूर होंगे और मनोकामनाएं पूरी होंगी।
1. विष्णु रूप पूजन मंत्र
भगवान विष्णु का इस रूप मंत्र में उनके स्वरूप का वर्णन किया गया है। ये मंत्र भगवान विष्णु की स्तुति का सर्वोत्तम मंत्र है। बृहस्पतिवार के दिन इस मंत्र का जाप करने से विष्णु जी प्रसन्न होते हैं..
शांताकारम भुजङ्गशयनम पद्मनाभं सुरेशम।
विश्वाधारं गगनसद्र्श्यं मेघवर्णम शुभांगम।
लक्ष्मी कान्तं कमल नयनम योगिभिर्ध्यान नग्म्य्म।
वन्दे विष्णुम भवभयहरं सर्व लोकेकनाथम।
ॐ नमोः नारायणाय नमः। ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय नमः।
3. विष्णु गायत्री मंत्र
भगवान विष्णु के गायत्री मंत्र का जाप करने से मानसिक शांति मिलती है। भक्तों के जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। इस का जाप प्रातःकाल करना अधिक लाभप्रद होता है।
ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
4. विष्णु कृष्ण अवतार मंत्र
भगवान विष्णु के कृष्णावतार का मंत्र है, इसका जाप करने से स्वयं देवकी नंदन श्री कृष्ण आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
5. विष्णु जी के बीज मंत्र
विष्णु जी के बीज मंत्रों में से किसी एक का बृहस्पतिवार के दिन 108 बार जाप करना विशेष फलदायी है। पहला मंत्र बृहस्पति देव का मूल मंत्र है, इसकी 108 बार जाप करने से आपकी कुण्डली में स्थित गुरु दोष समाप्त हो जाता है।
ॐ बृं बृहस्पतये नम:।
ॐ क्लीं बृहस्पतये नम:।
ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:।
ॐ ऐं श्रीं बृहस्पतये नम:।
ॐ गुं गुरवे नम:।
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