Kamika Ekadashi 2023: आज पूजा के समय करें इन मंत्रों का जाप, घर आएगी सुख-समृद्धि और खुशहाली
Kamika Ekadashi 2023 तुलसी माता की पूजा-उपासना करने से साधक पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा-दृष्टि बरसती है। उनकी कृपा से घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सुख और संकट यथाशीघ्र दूर हो जाते हैं। अगर आप भी लक्ष्मी नारायण का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं तो आज पूजा के समय इन मंत्रों का जाप करें।

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Kamika Ekadashi 2023: आज कामिका एकादशी है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-उपासना की जाती है। जगत के पालनहार भगवान श्रीहरि को तुलसी अति प्रिय है। धर्म शास्त्रों में तुलसी को सुख, समृद्धि एवं धन की अधिष्ठात्री मां लक्ष्मी का स्वरूप बताया गया है। तुलसी माता की पूजा-उपासना करने से साधक पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा-दृष्टि बरसती है। उनकी कृपा से घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सुख और संकट यथाशीघ्र दूर हो जाते हैं। अगर आप भी लक्ष्मी नारायण का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं, तो आज पूजा के समय इन मंत्रों का जाप करें। आइए, तुलसी मंत्र का जाप करते हैं-
तुलसी मंत्र
ॐ तुलसीदेव्यै च विद्महे, विष्णुप्रियायै च धीमहि, तन्नो वृन्दा प्रचोदयात् ।।
श्री तुलसी गायत्री मंत्र
ऊँ श्री त्रिपुराय विद्महे तुलसी पत्राय धीमहि |
तन्नो: तुलसी प्रचोदयात ||
तुलसी पूजा मंत्र
तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया ।।
लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।
तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया ।।
तुलसी नामाष्टक
वृंदा,वृन्दावनी, विश्वपुजिता,विश्वपावनी |
पुष्पसारा,नंदिनी च तुलसी, कृष्णजीवनी ||
एत नाम अष्टकं चैव स्त्रोत्र नामार्थ संयुतम |
य:पठेत तां सम्पूज्य सोभवमेघ फलं लभेत ||
तुलसी जल अर्पण मंत्र
महाप्रसाद जननी, सर्व सौभाग्यवर्धिनी। आधि व्याधि हरा नित्यं, तुलसी त्वं नमोस्तुते।
देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः ! नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।
तुलसी शतनाम स्तोत्रम
तुलसी पावनी पूज्या वृन्दावननिवासिनी !
ज्ञानदात्री ज्ञानमयी निर्मला सर्वपूजिता ॥
सती पतिव्रता वृन्दा क्षीराब्धिमथनोद्भवा !
कृष्णवर्णा रोगहन्त्री त्रिवर्णा सर्वकामदा ॥
लक्ष्मीसखी नित्यशुद्धा सुदती भूमिपावनी !
हरिध्यानैकनिरता हरिपादकृतालया ॥
पवित्ररूपिणी धन्या सुगन्धिन्यमृतोद्भवा !
सुरूपारोग्यदा तुष्टा शक्तित्रितयरूपिणी ॥
देवी देवर्षिसंस्तुत्या कान्ता विष्णुमनःप्रिया !
भूतवेतालभीतिघ्नी महापातकनाशिनी ॥
मनोरथप्रदा मेधा कान्तिर्विजयदायिनी !
शंखचक्रगदापद्मधारिणी कामरूपिणी ॥
अपवर्गप्रदा श्यामा कृशमध्या सुकेशिनी !
वैकुण्ठवासिनी नन्दा बिंबोष्ठी कोकिलस्वना ॥
कपिला निम्नगाजन्मभूमी आयुष्यदायिनी !
वनरूपा दुःखनाशी अविकारा चतुर्भुजा ॥
गरुत्मद्वाहना शान्ता दान्ता विघ्ननिवारिणी !
विष्णुमूलिका पुष्टा त्रिवर्गफलदायिनी ॥
महाशक्तिर्महामाया लक्ष्मीवाणीसुपूजिता !
सुमंगल्यर्चनप्रीता सौमङ्गल्यविवर्धिनी ॥
चातुर्मासोत्सवाराध्या विष्णुसान्निध्यदायिनी !
उत्तानद्वादशीपूज्या सर्वदेवप्रपूजिता ॥
गोपीरतिप्रदा नित्या निर्गुणा पार्वतीप्रिया !
अपमृत्युहरा राधाप्रिया मृगविलोचना ॥
अम्लाना हंसगमना कमलासनवन्दिता !
भूलोकवासिनी शुद्धा रमकृष्णादिपूजिता ॥
सीतापूज्या राममनःप्रिया नन्दनसंस्थिता !
सर्वतीर्थमयी मुक्ता लोकसृष्टिविधायिनी ॥
प्रातर्दृश्या ग्लानिहन्त्री वैष्णवी सर्वसिद्धिदा !
नारायणी सन्ततिदा मूलमृद्धारिपावनी ॥
अशोकवनिकासंस्था सीताध्याता निराश्रया !
गोमतीसरयूतीररोपिता कुटिलालका ॥
अपात्रभक्ष्यपापघ्नी दानतोयविशुद्धिदा !
श्रुतिधारणसुप्रीता शुभा सर्वेष्टदायिनी ॥
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