Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Krishnapingal Chaturthi 2024: संकष्टी चतुर्थी पर करें इन मंत्रों का जप, सभी संकटों से मिलेगी निजात

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Sun, 23 Jun 2024 10:00 PM (IST)

    धार्मिक मत है कि आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि (Krishnapingal Chaturthi Importance) पर स्नान-ध्यान के बाद विधिपूर्वक भगवान गणेश की पूजा करने से व्रती की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और घर में सुख और समृद्धि आती है। साथ ही सभी बिगड़े काम बन जाते हैं। बड़ी संख्या में भगवान गणेश के उपासक चतुर्थी तिथि पर व्रत रखते हैं।

    Hero Image
    Krishnapingal Chaturthi 2024: इस दिन मनाई जाएगी कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Krishna Pingala Sankashti Chaturthi 2024: ज्योतिषीय गणना के अनुसार, 25 जून को कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी है। यह पर्व भगवान गणेश की पूर्णतया समर्पित होता है। अतः आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर विधि-विधान से भगवान गणेश की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत-उपवास भी रखा जाता है। भगवान गणेश की कृपा बरसने से साधक के सभी बिगड़े काम बन जाते हैं। साथ ही घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से जातक के जीवन में व्याप्त आर्थिक तंगी भी दूर हो जाती है। कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी पर शिववास योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में भगवान गणेश की पूजा करने से साधक को विशेष कार्यों में सिद्धि प्राप्त होगी। अगर आप भी मनचाहा वर पाना चाहते हैं, तो कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी पर विधि-विधान से भगवान गणेश की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय इन मंत्रों का जप अवश्य करें। इन मंत्रों के जप जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाएंगे।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यह भी पढ़ें: कब और कैसे हुई धन की देवी की उत्पत्ति? जानें इससे जुड़ी कथा एवं महत्व


    भगवान गणेश मंत्र

    1. ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ ।

    निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ॥

    2. ऊँ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात् ॥

    3. ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

    ॐ महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

    ॐ गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

    4. ॐ श्रीं गं सौभाग्य गणपतये वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नम:।।

    5. गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः ।

    द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः ॥

    विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः ।

    द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्‌ ॥

    विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत्‌ क्वचित्‌ ।

    6. ॐ ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड, गणपति गुरू गणेश।

    ग्लौम गणपति, ऋद्धि पति, सिद्धि पति, करों दूर क्लेश।।

    7. ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा।

    8. दन्ताभये चक्र दरो दधानं, कराग्रस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।

    धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।

    9. ॐ गं श्रीं सर्व सिद्धि प्रधाये श्रीं गं नमः ।

    ॐ गं श्रीं सर्व सिद्धिप्रदये श्रीं गं नमः

    10. शृणु पुत्र महाभाग योगशान्तिप्रदायकम् ।

    येन त्वं सर्वयोगज्ञो ब्रह्मभूतो भविष्यसि ॥

    चित्तं पञ्चविधं प्रोक्तं क्षिप्तं मूढं महामते ।

    विक्षिप्तं च तथैकाग्रं निरोधं भूमिसज्ञकम् ॥

    तत्र प्रकाशकर्ताऽसौ चिन्तामणिहृदि स्थितः ।

    साक्षाद्योगेश योगेज्ञैर्लभ्यते भूमिनाशनात् ॥

    चित्तरूपा स्वयंबुद्धिश्चित्तभ्रान्तिकरी मता ।

    सिद्धिर्माया गणेशस्य मायाखेलक उच्यते ॥

    अतो गणेशमन्त्रेण गणेशं भज पुत्रक ।

    तेन त्वं ब्रह्मभूतस्तं शन्तियोगमवापस्यसि ॥

    इत्युक्त्वा गणराजस्य ददौ मन्त्रं तथारुणिः ।

    एकाक्षरं स्वपुत्राय ध्यनादिभ्यः सुसंयुतम् ॥

    तेन तं साधयति स्म गणेशं सर्वसिद्धिदम् ।

    क्रमेण शान्तिमापन्नो योगिवन्द्योऽभवत्ततः ॥

    यह भी पढ़ें: आखिर किस वजह से मां सीता को देनी पड़ी थी अग्नि परीक्षा? जानें इससे जुड़ी कथा

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।