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    Gajanana Sankashti Chaturthi पर पूजा के समय करें इन मंत्रों का जप, आर्थिक तंगी से मिलेगी निजात

    ज्योतिषियों की मानें तो गजानन संकष्टी चतुर्थी (Gajanana Sankashti Chaturthi 2024) पर शोभन और सौभाग्य योग का निर्माण हो रहा है। इन योग में भगवान गणेश की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होगा। गजानन संकष्टी चतुर्थी पर विशेष उपाय भी किए जाते हैं। इन उपायों को करने से आर्थिक तंगी दूर होती है।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Tue, 23 Jul 2024 05:54 PM (IST)
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    Gajanana Sankashti Chaturthi 2024: भगवान गणेश को कैसे प्रसन्न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Gajanana Sankashti Chaturthi 2024: सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक के सकल मनोरथ सिद्ध होते हैं। साथ ही आय और सौभाग्य में भी वृद्धि होती है। इस वर्ष 24 जुलाई को गजानन संकष्टी चतुर्थी है। ज्योतिषियों की मानें तो गजानन संकष्टी चतुर्थी पर एक साथ 7 शुभ संयोग बन रहे हैं। इन योग में भगवान गणेश की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। अगर आप भी भगवान गणेश की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो गजानन संकष्टी चतुर्थी पर विधि-विधान से भगवान गणेश की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय इन मंत्रों का जप करें।

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    भगवान गणेश के मंत्र

    1. ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

    ॐ महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

    ॐ गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

    2. गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः ।

    द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः ॥

    विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः ।

    द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्‌ ॥

    विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत्‌ क्वचित्‌ ।

    3. ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा।

    4. ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।

    5. दन्ताभये चक्रवरौ दधानं, कराग्रगं स्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।

    धृताब्जयालिङ्गितमाब्धि पुत्र्या-लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे॥

    7. गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।

    8. 'गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:।

    नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक :।।

    धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:।

    गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम।।

    9. ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं चिरचिर गणपतिवर वर देयं मम वाँछितार्थ कुरु कुरु स्वाहा ।

    10. विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लंबोदराय सकलाय जगद्धितायं।

    नागाननाथ श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।