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    Chaitra Navratri 2023: चैत्र नवरात्रि पर अत्यंत शुभ योग, ध्यान रखें कलश स्थापना मुहूर्त और सही दिशा

    By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo Mishra
    Updated: Tue, 21 Mar 2023 09:47 AM (IST)

    Chaitra Navratri 2023 कल से चैत्र नवरात्रि का शुभरंभ होने जा रहा है। प्रत्येक वर्ष नवरात्रि पर्व चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से प्रारंभ हो जाती है। नवरात्रि के प्रथम दिन पर शुभ मुहूर्त में घटस्थापना करने से विशेष लाभ मिलता है।

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    2023 Chaitra Navratri: चैत्र नवरात्रि में इस विधि से करें कलश स्थापना और जानिए शुभ मुहूर्त व दिशा

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Chaitra Navratri 2023: कल यानि 22 मार्च 2023, बुधवार दिन से चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ हो जाएगा। मां भगवती की उपासना के लिए समर्पित चैत्र नवरात्रि में साधकों को शुभ मुहूर्त में घटस्थापना और मूर्तिस्थापना करनी चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और साधकों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। आइए जानते हैं कलश स्थापना का मुहूर्त और नियम। 

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    चैत्र नवरात्रि 2023 घटस्थापना मुहूर्त (Kalash Sthapana time Chaitra Navratri 2023)

    हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानि 22 मार्च 2023, बुधवार के दिन साधक घटस्थापना सुबह 06 बजकर 14 मिनट से सुबह 07 बजकर 55 मिनट तक कर सकते हैं। बता दें कि घटस्थापना मुहूर्त द्विस्वभाव मीन लग्न की अवधि में है।

    चैत्र नवरात्रि 2023 कलश स्थापना नियम (Kalash Sthapana Niyam Chaitra Navratri 2023)

    • चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन साधक मां दुर्गा की प्रतिमा और कलश उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करें। पूजा-पाठ के लिए इस दिशा को अत्यंत शुभ माना जाता है। इसके साथ अखंड ज्योति की स्थापना आग्नेय कोण में ही करें।

  • माता की प्रतिमा और कलश को लकड़ी या चंदन से बनी चौकी पर ही स्थापित करें। ऐसा इसलिए क्योंकि शास्त्रों में चंदन को बहुत ही शुभ माना जाता है और शास्त्रों में इसे सकरात्मक उर्जा का केंद्र भी कहा गया है।

  • चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन घर के मुख्य द्वार पर हल्दी से स्वस्तिक चिन्ह बनाएं और आम या अशोक के पत्तों से बने तोरण को लगाएं। ऐसा करने से घर में सकारात्मक उर्जा का संचार होता है और मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं।

  • नवरात्रि के पहले दिन लाल अथवा पीले रंग के वस्त्र पहनकर पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है। इन दोनों रंगों को उमंग और प्रसन्नता का प्रतीक माना जाता है। इस बात का भी ध्यान रखें कि पूजा का समय साधक काले रंग का प्रयोग गलती से भी ना करें। ऐसा करने से नकारात्मक उर्जा हावी हो सकती है।

  • डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।