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    Chaitra Navratri 2023 Bhog: कल से हो रहा है चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ, नौ दिन अर्पित करें मां दुर्गा को यह भोग

    By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo Mishra
    Updated: Tue, 21 Mar 2023 09:57 AM (IST)

    Chaitra Navratri 2023 हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ हो जाता है। इस वर्ष चैत्र मास की प्रतिपदा तिथि कल यानि 22 मार्च से शुरू हो रही है।

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    2023 Chaitra Navratri: जानिए मां दुर्गा के नौ स्वरूप और उनके प्रिय भोग का नाम।

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Chaitra Navratri 2023: पंचांग के अनुसार मां भगवती की उपासना के लिए चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ कल यानि 22 मार्च 2023, बुधवार के दिन से होगा। प्रत्येक वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ हो जाता है।

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    धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri 2023 Puja Vidhi) में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विशेष पूजा का विधान है। प्रथम दिन यानि प्रतिपदा तिथि को कलश स्थापना के साथ माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है। बता दें कि इन नौ दिनों में मां दुर्गा के सभी नौ स्वरूपों को अलग-अलग भोग अर्पित किया जाता है। आइए जानते हैं मां दुर्गा के नौ स्वरूप और उनके प्रिय भोग।

    प्रथम दिन- माता शैलपुत्री

    चैत्र प्रतिपदा तिथि के दिन माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इनकी सवारी सफेद गाय है और यह पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं। माता को सफेद रंग बहुत प्रिय है और इनकी उपासना करने साधक को आरोग्यता का आशीर्वाद मिलता है। इस दिन मां शैलपुत्री को गाय के घी का भोग अर्पित किया जाता है।

    दूसरा दिन- माता ब्रह्मचारिणी

    चैत्र मास की द्वितीया तिथि के दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा का विधान है। माना जाता है कि मां ब्रह्मचारिणी की उपासना करने से दीर्घायु और संयम का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन मां को शक्कर और पंचामृत का भोग लगाया जाता है।

    तीसरा दिन- मां चंद्रघंटा

    चैत्र तृतीया तिथि के दिन मां चंद्रघंटा की उपासना की जाती है। माता की सवारी सिंह है और इनकी पूजा करने से साधकों को सांसारिक समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है। इस दिन मां चंद्रघंटा को प्रसन्न करने के लिए दूध से बनी मिठाई या खीर इत्यादि का भोग लगाएं।

    चौथा दिन- माता कूष्मांडा

    चैत्र नवरात्रि के चतुर्थी तिथि के दिन मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है। माता कूष्मांडा बाघ की सवारी करती हैं और उनकी उपासना से बुद्धि और मनोबल में वृद्धि होती है। इस दिन माता को मालपुए का भोग अर्पित करें और दान इत्यादि अवश्य करें।

    पांचवां दिन- मां स्कंदमाता

    चैत्र मास के पंचमी तिथि के दिन मां स्कंदमाता की पूजा का विधान है। माता स्कंदमाता की सवारी शेर है और इनकी पूजा करने से साधक को आरोग्यता का आशीर्वाद प्राप्त होता है, साथ ही सभी शारीरिक पीड़ाएं दूर हो जाती हैं। इन दिन माता को केले का भोग अर्पित करें।

    छठा दिन- माता कात्यायनी

    चैत्र नवरात्रि के षष्ठी तिथि के दिन माता कात्यायनी की पूजा की जाती है। माता कात्यायनी की उपासना करने से आकर्षण शक्ति में वृद्धि होती है और घर-परिवार से नकारात्मक उर्जा समाप्त हो जाती है। षष्ठी तिथि के दिन मां को लौकी, मीठे पान और मधु का भोग अर्पित करें।

    सातवां दिन- मां कालरात्रि

    चैत्र मास की सप्तमी तिथि के दिन माता कालरात्रि की विधि-विधान से उपासना की जाती है। मान्यता है कि माता कालरात्रि की उपासना करने से शत्रुओं पर विजय का आशीर्वाद मिलता ही और रोग-दोष से मुक्ति प्राप्त होती है। इस दिन माता को गुड़ से बनी मिठाई का भोग अर्पित करें।

    आठवां दिन- माता महागौरी

    चैत्र शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन माता महागौरी की पूजा का विधान है। शास्त्रों में बताया गया है कि माता महागौरी की उपासना करने से सभी कष्टों से मुक्ति प्राप्त हो जाती है और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। इस दिन माता महागौरी को नारियल का भोग अर्पित करें।

    नौवां दिन- माता सिद्धिदात्री

    चैत्र नवरात्रि पर्व के अंतिम दिन यानि नवमी तिथि को माता सिद्धिदात्री की पूजा का विधान है। इस दिन कन्या पूजन भी किया जाता है। मान्यता है कि माता सिद्धिदात्री को खीर और हलवा-पूड़ी का भोग लगाने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।

    डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।