Move to Jagran APP

Chaiti Chhath 2023: चैती छठ पूजा के दूसरे दिन खरना आज, जानिए अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त

Chaiti Chhath 2023 हिन्दू धर्म में साल में दो बार छठ पर्व पर्व मनाया जाता है। एक चैत्र मास में और दूसरा दिवाली के बाद कार्तिक मास में। बता दें कि आज खरना के साथ 36 घंटे की निर्जला एकादशी व्रत रखा जाएगा।

By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraPublished: Sun, 26 Mar 2023 02:57 PM (IST)Updated: Sun, 26 Mar 2023 02:57 PM (IST)
Chaiti Chhath 2023: चैती छठ पूजा के दूसरे दिन खरना आज, जानिए अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त
Chaiti Chhath 2023: आज से शुरू होगा 36 घंटे का निर्जला उपवास, जानिए अस्ताचलगामी सूर्य पूजा का शुभ मुहूर्त।

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Chaiti Chhath 2023 Kharna: चैती छठ महापर्व कल्याण 25 मार्च 2023 से शुरू हो चुका है। आज 26 मार्च को खरना के साथ 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाएगा और कल अस्त होते सूर्य देव को दिया जाएगा। फिर अगले दिन 28 मार्च को उदित हो रहे सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पर्व का समापन किया जाएग। बता दें कि हर वर्ष दो बार छठ पर्व मनाया जाता है। एक चैत्र मास में तो दूसरा कार्तिक मास में दिवाली पर्व के बाद। आइए जानते हैं अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त और उपवास की विधि।

loksabha election banner

अस्ताचलगामी सूर्य पूजा शुभ मुहूर्त (Chaitu Chhath 2023 Surya Puja Muhurat)

हिंदू पंचांग के अनुसार 27 मार्च सोमवार के दिन अस्ताचलगामी सूर्य को व्रती महिलाएं अर्घ्य अर्पित करेंगी। इस दिन शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 28 मिनट से शुरू होगा। फिर उसके अगले दिन उदित होते सूर्य भगवान को अर्घ्य प्रदान करने का शुभ मुहूर्त प्रातः 05 बजकर 55 मिनट से शुरू होगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शुभ मुहूर्त की अवधि में सूर्य देव को अर्घ्य प्रदान करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।

36 घंटे का निर्जला उपवास रखती हैं महिलाएं

छठ पूजा का शुभारंभ पहले दिन नहाए-खाय से शुरू हो जाता है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने के बाद महिलाएं अरवा चावल, कद्दू और चने की दाल इत्यादि ग्रहण कर व्रत प्रारंभ करती है। अगले शाम को खरना होता है, जिसमें सभी व्रती महिलाएं गुड़ की खीर और रोटी ग्रहण करती हैं। इसके बाद 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखने के बाद अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य प्रदान किया जाता है और उसके अगले दिन उदयीमान सूर्य देव को जल अर्पित करने के बाद व्रत का पारण किया जाता है।

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.